मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बीच टकराव का सबसे बड़ा कारण था नीतीश कुमार के मनपंसद अधिकारियों का स्थानांतरण। छह जनवरी, 15 को तीन अधिकारियों – गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह और भवन निर्माण विभाग के सचिव चंचल कुमार- के स्थानांतरण से नीतीश कुमार बौखला गए थे। अगले दिन अपने विश्वस्त सिपहसलारों की बैठक में उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि मांझी की विदाई की जमीन तैयार की जाए।
वीरेंद्र यादव
नीतीश खेमे के वरिष्ठ अधिकारी का दावा है कि करीब डेढ़ दर्जन अधिकारियों के स्थानांतरण के पूर्व नीतीश कुमार से कोई विचार विमर्श नहीं किया गया था। संबंधित विभाग के मंत्रियों से भी नहीं पूछा गया। इससे ललन सिंह और पीके शाही ने विद्रोह का स्वर उठाया और जीतनराम मांझी को पत्र लिखकर स्थानांतरण का कारण पूछ लिया। मांझी खेमा मान रहा था कि यह सब नीतीश के इशारे पर हो रहा है। उसी शैली में मांझी ने जवाब दिया और कहा कि स्थानांतरण सीएम का विशेषाधिकार है। अपने इस बयान से मांझी ने नीतीश पर भी हमला कर दिया था।
जिनका हुआ था ट्रांसफर
इस ट्रांसफर के पीछे नीतीश से दो-दो हाथ करने का मंसबा भी स्पष्ट हो गया था। इस स्थानांतरण ने तय कर दिया था कि मांझी नीतीश के खोता से बाहर आ चुके हैं। सत्ता की डोर नीतीश के साथ से सरक गयी है। मांझी अब प्रशासन को अपने ढंग से चलाना चाहते थे। छह जनवरी को हुए ट्रांसफर में नीतीश के चहेते चेहरे को ठिकाने लगाने के लिए करीब डेढ़ दर्जन पदाधिकारियों की जिम्मेवारियों में बदलाव करना पड़़ा था। छह जनवरी को जिनका स्थानांतरण हुआ था, उसमें शामिल थे – विजय प्रकाश, त्रिपुरारि शरण, शशि शेखर शर्मा, अरुण कुमार सिंह, आमिर सुबहानी, सुधीर कुमार, डीएस गंगवार, संजय कुमार, एस सिद्धार्थ, चंचल कुमार, हरजोत कौर, प्रदीप कुमार, पंकज कुमार, नर्मदेश्वर लाल, संजय कुमार सिंह, विनय कुमार, बालामुरुगन डी, धर्मेंद्र सिंह और दयानिधि पांडेय।