बुधवार को लालटेन और तीर के आंगन में जन दरबार का आयोजन किया गया था और आज सुशील मोदी के आंगन में मीडिया दरबार का आयोजन किया गया। राजद के लालू यादव व जदयू के वशिष्ट नारायण सिंह ने कल चूड़ा-दही पर पार्टी कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया था। सुशील मोदी ने अपने घर पर चूड़ा-दही के साथ पुलाव पर मीडिया वालों को आमंत्रित किया था।
वीरेंद्र यादव
लेकिन तीन जगहों पर चर्चा का विषय एक ही था ‘यादव परिवार’ का विलय। यादव परिवार के विलय में नीतीश कुमार इतना थक गए थे कि चूड़ा-दही के दिन 102 डिग्री बुखार से तप रहे थे। लेकिन विलय की नींव दही-चूड़ा के साथ नहीं पड़ पायी। यह भी संयोग ही था कि राजद व जदयू के सभी नेता विलय का राग अलापते रहे।
किसी ने कहा कि प्रक्रिया जारी है, किसी ने कहा कि बात आगे बढ़ रही है तो किसी ने कहा कि ‘विलय की ईंट’ जोड़ने का ठेका मुलायम सिंह को सौंप दिया गया है। और बेचारे मुलायम सिंह इतना उम्रदराज हो गए हैं कि ईंट का बोझ उनसे नहीं उठ रहा है।
चाकू हमारा, तबूज हमारा
इधर सुशील मोदी के आंगन में भी विलय का विलाप ही जारी रहा। लालू-नीतीश ही छाये रहे। सुशील मोदी ने कहा- चाकू भी हमारा, तरबूज भी हमारा। कोई किसी पर गिरे, आएगा हमारे ही आंगन में। उन्होंने कहा कि लालू-नीतीश जीतनराम मांझी को अपदस्थ करना चाहेंगे तो भाजपा उनके लिए बैसाखी बनने के लिए तैयार है। भाजपा नेता ने कहा कि जनता परिवार का विलय हो या नहीं, दोनों का लाभ भाजपा को ही होना है। उन्होंने मुख्यमंत्री को राज्य में स्थायी सरकार बनाने के लिए विधानसभा चुनाव करा लेने की सलाह भी दी।
हालांकि उन्होंने राष्ट्रपति शासन को लेकर अनिच्छा जतायी। कुल मिलाकर तीनों पार्टियों में जनता परिवार के विलय की संभावना, विलय की खबर औ विलय पर विलाप में दही-चूड़ा का जश्न समाप्त हो गया।