सुशील मोदी ने अपराध के आंकड़े पर बोला सफेद झूठ, यहां देखिए क्या है 3 सालों का क्राइम रिकार्ड
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/06/irshadul.haque_.jpg” ]इर्शादुल हक, एडिटर, नौकरशाही डॉट कॉम[/author]
भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में बिहार में अपराध पर पूछे गये सवाल पर तथ्यात्मक झूठ बोला है. कार्यक्रम का संचालन कर रही अंजना ओम कश्यप ने उनसे पूछा कि बिहार में रेप, मर्डर, किडनैपिंग की लगातार खबरें आ रही हैं. तमाम हलकों से यह आवाज आने लगी है कि बिहार में जंगल राज आ रहा है. इस पर सुशील मोदी ने साफ कहा कि अगर आप आंकड़ों की बात करें तो देखेंगे कि बिहार में अपराध पहले की तुलना में कम हुए हैं.
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मोदी ने इतना कहने के बाद आगे कहा कि कुछ घटनायें हुई हैं. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की घटना हुई है या मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर की हत्या हुई ऐसी घटनायें दुर्भाग्यपूर्ण हैं लेकिन कुल मिला कर बिहार में अपराध कम हुए हैं.
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मोदी ने अपनी बात को जस्टिफाई करने के लिए और भी कई बातें रखीं लेकिन ‘अपराध के आंकड़ों में कमी’ के तथ्यात्मक झूठ पर अंजना ओम कश्यप ने कोई सवाल नहीं किया और मोदी अपना जवाब दे कर निकल गये.
लेकिन बिहार में अपराध कें आंकड़ों को देखें तो मोदी का सफेद झूठ साफ पकड़ में आ जायेगा. हम यहां बिहार सरकार की वेबसाइट http://biharpolice.bih.nic.in पर दर्ज अपराध के आंकड़ों को अपने पाठकों के सामने रख रहे हैं जिससे आपको भी अंदजा हो जायेगा कि उपमुख्यमंत्री के जिम्मेदार पद पर बैठ कर सुशील मोदी जो कह रहे हैं वह कितना सच है.
2017 में राजद छोड़ कर भाजपा के संग सरकार बनाने के बाद अपराध के आंकड़ों को देखें तो इसमें काफी वृद्धि हुई है. बिहार पुलिस की वेबसाइट पर वर्षवार अपराध के आंकड़ें दर्ज हैं. जो हकीकत को बयान करते हैं. 2015 और 2016 की तुलना में 2017 में अचानक रेप, मर्डर, किडनैपिंग और दंगा की संख्या में इजाफा हो गया.
ये हैं बिहार में अपराध के आंकड़ें
जहां 2015 और 2016 में रेप की क्रमश 1041 और 1008 घटनायें हुईं वहीं 2017 में इसकी संख्या बढ़ कर 1198 हो गयी. इसी तरह 2016 में जहां मर्डर की 2581 घटनायें दर्ज की गयीं थी वहीं 2017 में 2803 हत्या हुई.
जहां तक 2016 में अपहरण की 7324 घटनायें दर्ज की गयीं जो 2017 में बढ़ कर 8972 की संख्या तक पहुंच गयी.
और इसी तरह जहां तक दंगे की बात है तो इस मामले में भी 2016 की तुलना में 2017 में इजाफा हुआ. जहां 2016 में पूरे बिहार में 11617 साम्प्रादियक दंगे हुए तो 2017 में इसकी संख्या 11698 पर पहुंच गयी.
किसी समाज में बड़े अपराध के यही चार मामले यानी रेप, मर्डर, किडनैपिंग और साम्प्रदायिक दंगे की संख्या से ही आकलन किया जाता है. और इन चारों मामलों में जदयू-भाजपा की सरकार आने के बाद हालात बदतर हुए हैं. यह खुद बिहार सरकार के जमा किये गये आंकड़ें बताते हैं.
2018 का हाल और बुरा
अब आइए 2018 की बात करें. चालू वर्ष में बिहार सरकार के पुलिस महकमें की वेबसाइट पर अगस्त तक के आंकड़ें उपलब्ध हैं. यानी दिसम्बर तक के आंकड़ें आने में चार महीने के अपराध के रिकार्ड शामिल करने होंगे. ऐसे में अगर मौजूदा आंकड़े को देखें तो इस साल की तस्वीर भी काफी भयावह दिखती है. इस वर्ष के अगस्त महीने तक जो आंकड़ें हैं उसे भी देख लिया जाये-
अगस्त 2018 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार बिहार में रेप की 1065 घटनायें हो चुकी हैं. मर्डर की अब तक 2050 घटनायें दर्ज की जा चुकी हैं. जबकि किडनैपिंग की अगस्त महीने तक 7127 वारदात दर्ज की जा चुकी है. इसी तरह अगस्त महीने तक बिहार में 7568 मामले दर्ज हो चुके हैं. और अगर आप इन आंकड़ों को बाकी बचे चार महीनों के औसत से अनुमान लगायें तो यह कंफर्म है कि 2018 की हालत 2017 से बहुत बुरी साबित होने वाली है.