मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी पदाधिकारियों के लिए हर रोज सुशासन की पाठशाला लगा रहे हैं। उन्हें विकास का ‘ताबीज’ बांट रहे हैं। सीएम कार्यकर्ताओं को बता रहे हैं कि हमने पिछले 10 वर्षों में विकास के लिए कौन-कौन से काम किये। इसमें कहां कमी रह गयी और इसमें क्या सुधार करना है।
नौकरशाही ब्यूरो
लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद नीतीश कुमार को अपनी कमजोरियां का अहसास हुआ। उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया कि पैर के नीचे से जमीन खिसक गयी, लेकिन किसी ने बताया ही नहीं। सीएम फिर से जमीन को पुख्ता करने में जुट गए हैं। ‘बेरोजगारी’ के दौर भी वे कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दे रहे थे। जनवरी-फरवरी में कई दिनों तक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया था। इसमें भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।
उस प्रशिक्षण में भी सुशासन का संकल्प दुहराया गया था। इस बार फिर सुशासन का संकल्प दुहराया जा रहा है। इस काम में ठेके पर टीम भी लगायी गयी है। सरकारी खर्चे से ‘बढ़ चला बिहार’ अभियान की शुरुआत की गयी है। इसका प्रचार-प्रसार भी जदयू कार्यकर्ताओं को सौंपा जा रहा है। कार्यकर्ताओं को दिया जा रहा टिप्स इसी के आसपास है। इसका असर कितना पड़ेगा, यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन इतना तय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संगठन से सरकार तक किसी भी स्तर को कोई चूक नहीं करना चाहते हैं। इसके लिए संगठन को भी सक्रिय बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही, सरकार और संगठन में बेहतर तालमेल का भी प्रयास किया जा रहा है।