बिहार में सुशासन के नाम पर नौकरशाही आम लोगों के शोषण में लगी है.पिछले पांच-छह सालों में नौकरशाही लोकतांत्रिक संस्थाओं और जनता की आशाओं पर हावी हो गई है.जिस व्यवस्था में नौकरशाही हावी हो जाये वह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है.शनिवार को पटना के कारिगल चौक पर आयोजित धरने में नेताओं ने ये विचार व्यक्त किये.
बिहार में बिगड़ती कानून और व्यवस्था की स्थिति पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों की पिछले कुछ सालों में हुई हत्या, भेदभाव और उपेक्षा के विरुद्ध ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने धरने का आयोजन किया था.
इस अवसर पर पटना हाई कोर्ठ के अधिवकता वसंत चौधरी ने आरोप लगाया कि बिहार में नौकरशाही जनशाही पर हावी हो गई है जो एक खतरनाक प्रवृत्ति है.इसके कारण लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है. पिछले कुछ सालों में पसमांदा मुसलमानों, दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों पर पुलिसिया जुल्म बढ़ा है लेकिन सरकार इस पर बिल्कुल खामोश है.
धरणे की अध्यक्षता करते हुए पसमांदा मुस्लिम महाज के महासचिव उस्मान हाललखोर ने कहा कि नीतीश की सरकार को पसमांदा मुसलमानों का समर्थन मिला था पर यह सरकार जब से दूसरी बार सत्ता में आई तो इसने पसमांदा समाज को नजरअंदाज कर दिया है.
शुऐब अंसारी ने कहा कि सुशासन के नाम पर राज्य सरकार नौकरशाहों के जरिए शोषण पर आमादा है जिसका शिकार पसमांदा समाज और दलित पिछड़ी जातियों के लोग हो रहे हैं.
हिशामुद्दीन अंसारी ने संचालन करते हुए कहा कि पसमांदा महाज का कारवां जल्द ही सुशासन का पर्दाफाश करने के लिए पूरे प्रदेश का दौरा करेगा.इस अवसर पर पसमांदा मुस्लिम महाज के संगठन सचिव हसनैन अंसारी ने कहा कि नौकरशाही को बढ़ावा देकर राज्य सरकार ने पूरे तंत्र को भ्रष्टाचार में लिप्त बना दिया है.
इस अवसर पर अतिपिछड़ा समाज के नेता किशोरी दास ने कहा कि पिछड़ा, अतिपिछड़ा, पसमांदा और दलित समाज को गोलबंद होकर आंदोलन को और मजबूत बनाने की जरूरत है.