गुजरात के अरबपति व्यवसायी हनीफ हिंगोरा के पुत्र सोहैल हिंगोरा के बहुचर्चित अपहरणकर्ताओं के जहानाबाद और झारखंड में कार्यरत माओवादियों के साथ संबंध होने का संदेह व्यक्त किया जा रहा है.
विनायक विजेता
सहैल हिंगोरा अपहरण मामले में पुलिस को जहानाबाद के कल्पा ओपी अंतर्गत भवानीचक गांव के जिस राकेश सिंह उर्फ जॉन की खोज है उस राकेश का जहानाबाद के कई शीर्ष माओवादी नेताओं से संबंध रहें हैं। ऐसे भी राकेश का गांव भवानीचक जहानाबाद के माओवाद प्रभावित अति संवेदनशील गांवों की अग्रनी सूची में है और माओवादी आंदोलन की शुरुआत में यह गांव तब के नक्सली संगठन मजदूर किसान संग्राम समिति का गढ़ माना जाता था।
इसी गांव के एक प्रमुख माओवादी नेता की हत्या कुख्यात बिन्दु सिंह ने अस्सी के दशक में जहानाबाद के राजाबाजार रेलवे पुल के पास गोली मारकर कर दी थी। सूत्र बताते हैं कि राकेश सिंह के पिता शत्रुध्न सिंह रांची में ही नौकरी किया करते थे जिनकी मौत हो चुकी है। राकेश सिंह उर्फ जॉन पर रांची में भी एक संगीन मामला दर्ज है जिस मामले में भवानीचक स्थित उसके मकान की कुर्की भी हो चुकी है।
गांव के लोग बताते हैं कि राकेश कभी- कभार ही अपने गांव आता है वह रांची में क्या करता है गांव के लोगों को भी पता नहीं। इधर सूत्र बताते हैं कि अपना अधिकांश समय झारखंड में ही गुजारने वाला कुख्यात चंदन सोनार और दीपक सिंह भी कई नक्सली नेताओं के संपर्क में था।
‘तुम मुझे संरक्षण दो-मैं तुम्हें धन दूंगा’ के तर्ज पर चंदन सोनार ने कई बार नक्सल संगठन को आर्थिक मदद भी की है। अब सवाल यह उठ रहा है कि आर्थिक और हथियारों तंगी से जुझ रही भाकपा माओवादी के किसी नेता ने भी तो कहीं सुहैल के अपहर्ताओं को मदद तो नहीं पहुंचायी या कहीं फिरौती की वसूली गई राशि में से एक भारी रकम किसी माओवादी नेताओं को भी तो नहीं मिली। अपहर्ताओं ने जिस तरह से सुहैल का दमन से अपहरण कर उसे बिहार लाया और एक माह तक लगातार उसे छपरा के एक गांव में बंधक बना कर रखा उससे यह जाहिर है कि इस गिरोह को कुछ वैसे लोगों का संरक्षण मिल रहा था जिसके नाम से दहशत या आतंक व्याप्त है।
इधर गुरुवार को बातचीत के क्रम में सुहैल के पिता हनीफ हिंगोरा अपने उसी पुराने स्टैंड पर कायम दिखे जिसमें उन्होंने इस पूरे मामले में ‘अपहर्ता-राजनेता गठबंधन’ का आरोप लगाया था। गुरुवार को बातचीत के क्रम में हनीफ ने कहा कि इस मामले में दो राजनेता भी हैं पर वह अभी उनका नाम नहीं खोलेंगे। वो नीतीश कुमार ओर बिहार पुलिस की जांच और कार्यवाई का कुछ समय तक इंतजार करेंगे इसके बाद वह इस मामले की सीबीआई जांच के लिए सक्षम अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। हनीफ ने इतना दावा जरुर किया कि उन्होंने बिहार पुलिस को जो प्रमाण सौंपे हैं वह इस मामले में शामिल राजनेताओं के साथ कुछ सफेदपोश का चेहरा बेनकाब करने के लिए काफी है।
पर हनीफ हिंगोरा को यह डर भी सता रहां है कि इस मामले शामिल अपराधियों में अधिकतर लव-कुश समीकरण वाले अपराधियों के होने के कारण बिहार सरकार इस मामले पर कहीं लीपापोती ना कर दे।