कांग्रेस ने सूचना के माध्यमों पर अंकुश लगाने संबंधी सरकार के इस प्रस्ताव की आलोचना की है जिसमें सेवा प्रदाताओं को उनेके प्लेटफार्म से भेजे गये संदेशों के बारे में पूरा विवरण उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को कहा कि मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार सरकार की योजना सूचना प्रौद्योगिकी इंटरमीडियरी दिशानिर्देश नियमावली में बदलाव करने की है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार सच में यह बदलाव करने जा रही है तो यह भयावह स्थिति होगी। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है और इस पर अभी जनता की राय भी नहीं ली गयी है। इसके तहत सेवा प्रदाता वाट्सअप, फेसबुक, सिग्नल, इंस्टाग्राम आदि सभी काे ऐसी तकनीकी प्रयोग में लानी होगी जिसमें उन्हें बताना पड़ेगा कि संदेश भेजने वाला और संदेश पाने वाला कौन है और उस संदेश में क्या निहित है।
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उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस संशोधन को लागू करती है तो इससे संदेशों की गोपनीयता खत्म हो जाएगी और सरकार को नागरिकों के संदेशों में हस्तक्षेप करने का अधिकार मिल जाएगा। उन्होंने इसे विकृत संस्कृति करार दिया और उम्मीद जतायी कि सरकार इसे लागू नहीं करेगी। प्रवक्ता ने कहा कि यदि सरकार दुर्भाग्य से इसे लागू किया जाता है तो किसी भी माध्यम से नागरिकों की निजता का खुलासा करवाना आसान हो जाएगा और इसका दुरुपयोग भी हो सकेगा। गोपनियता का कोई मतलब इसे लागू होने के बाद नहीं रह जाएगा। हर सूचना का स्रोत बताना आवश्यक हो जाएगा। उन्होंने इसे मोदी सरकार की जासूसी कार्रवाई बताया और कहा कि इस प्रस्ताव को देशहित में क्रियान्वित नहीं किया जाना चाहिए।