पंजाब के मशहूर सूफी गायक हंसराज हंस ने पाकिस्तान में इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है।
पाकिस्तानी न्यूज साइट्स पर इसकी पुष्टि की जा रही है।
उन्होंने मंशा जाहिर की है कि वे जल्द से जल्द मदीना जाना चाहते हैं। अब उनका नाम मोहम्मद यूसुफ होगा।
Jagran.com के मनोज त्रिपाठी, जालंधर।
संगीत की दुनिया में वे हंसराज हंस के नाम से ही काम करेंगे। हंस पिछले लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के टिकट पर जालंधर सीट से लड़े थे। पार्टी में भी उन्हें अहम जिम्मेवारी सौंपी गई थी।
‘वंजारा’, ‘सोणिए’, ‘चोरनी’ व ‘झांझर’ जैसी हिट एलबम के बाद शुरू हुए गर्दिश के सफर में राज गायक ने हमेशा नई दिशा की तलाश की। न्यूज वेबसाइटों के अनुसार हंस ने पाकिस्तान में बीते दिन इस्लाम कबूल किया है। खबरों के मुताबिक तीन दिनों में 57 पाकिस्तानी हिंदुओं को इस्लाम कबूल करवाया गया है।
जालंधर के पास स्थित सफीपुर गांव में पैदा हुए हंस ने छोटी उम्र से ही गायकी शुरू कर दी थी। पिता सरदार रक्षपाल सिंह व मां सृजन कौर या उनकी पहले की पीढ़ी में संगीत नहीं था।
कई यूथ फेस्टिवलों में विजेता बनने से शुरू हुआ हंस की गायकी का सफर फिल्मों, म्यूजिक इंडस्ट्री व राजनीति के गलियारों से होता हुआ अभी तक जारी है। सूफी संगीत को नई दिशा देने वाले हंस को पंजाब सरकार ने राज गायक की भी उपाधि दी है। नुसरत फतेह अली खान के साथ ‘च्च्चे धागे’ फिल्म से बालीवुड में कदम रखने वाले हंस ने ‘नायक’, ‘ब्लैक’, ‘च्बच्छू’ सहित दर्जन फिल्मों के लिए गीत गाए।
2009 में पंजाब की सियासत में कदम रखने और लोकसभा चुनाव हारने के बाद संगीत की दुनिया हंस को मुंबई खींच ले गई। मुंबई की गलियां फांकने के बाद वे दोबारा अकाली दल में सक्रिय हुए और पार्टी के लिए काम करने लगे।
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए जालंधर से शिअद की टिकट पर उनकी भी दावेदारी मानी जा रही थी, लेकिन उनके स्थान पर मंगलवार को पवन टीनू को उम्मीदवार बना दिया गया। इस हालात में हंस के इस्लाम कबूलने की खबर सियासत के नए समीकरण भी पैदा कर सकती है। उनके मोबाइल पर उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं हो सकी।