कौन है ‘सृजन’ का पालनहार। किसके संरक्षण और जानकारी में होता रहा अरबों का घोटाला। हनुमान की पूंछ की तरह बढ़ता जा रहा है सृजन का दायरा। जिलों की सीमाओं को लांघ रहा है सृजन। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं कि हमने खुद सृजन के घोटाले का खुलासा किया। समय और तारीख भी बता रहे हैं। लेकिन इस महाघोटाले के खुलासे में 14 वर्ष लग गये। इसमें 12 वर्ष खुद नीतीश कुमार राज्‍य के मुखिया भी रहे हैं।

वीरेंद्र यादव

 

सृजन घोटाले के कारण विधानमंडल की कार्यवाही बाधित हो रही है। विपक्ष हंगामा कर रहा है। वेल में शोर-शराबा हो रहा है। विधान मंडल परिसर में नारेबाजी व प्रदर्शन हो रहा है। लेकिन सवाल इससे आगे का है कि विपक्ष के पास सृजन घोटाले को लेकर हाथ में ‘तख्‍ती’ के अलावा क्‍या है। कोई कागजी साक्ष्‍य है क्‍या। अखबारों की कटिंग पर कई दिनों तक सरकार पर हमला कर सकेंगे। मुख्‍य विपक्षी दल राजद का दावा या आरोप गलथेथरी से आगे नहीं बढ़ पा रहा है। सृजन घोटाले से जुड़ा कोई भी तथ्‍य और साक्ष्‍य राजद के पास नहीं है। राजद प्रमुख लालू यादव या विधान सभा में विपक्ष के नेता तेजस्‍वी यादव अब तक पार्टी की ओर सृजन घोटाले में कोई नया तथ्‍य नहीं दे खोज पाएं हैं।

फैक्‍ट फाइडिंग के मामले में राजद कंगाल किस्‍म की पार्टी है। इस संदर्भ में पार्टी के बड़े नेता भी कंगाल हैं। उनके  पास फैक्‍ट के नाम पर गलगेथरी ही होता है। पिछले एक पखवारे से सृजन घोटाला चर्चा में हैं। अखबारों और चैनलों का मुख्‍य विषय है। लेकिन एक पखवारे में राजद अपनी ओर से एक भी फैक्‍ट जारी नहीं कर सका। दरअसल राजद का संगठनात्‍मक ढांचा लालू यादव के परिवार से आगे नहीं बढ़ पाया है और जिम्‍मेवारियों के निर्वाह का ‘ठेका’ भी यही परिवार निभाता है। यही कारण है कि सृजन जैसा बड़ा मुद्दा भी राजद के हाथ से फिसलता जा रहा है। सृजन के मुद्दे पर राजद चूक गया तो सरकार के खिलाफ बड़े मुद्दे का इंतजार उसे लंबे समय तक करना पड़ सकता है।

By Editor


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