मशूहर निर्देशक संजय लीला भंसाली के लिए राहत की खबर है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड- CBFC) ने उनकी विवादित फिल्म ‘पद्मावती’ को हरी झंडी दे दी. सेंसर बोर्ड ने 28 दिसंबर को समीक्षा के बाद फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दिया है. इसके लिए बोर्ड ने एक एडवाइजरी पैनल भी बनाया था. रिव्यू कमेटी और एडवाइजरी पैनल की टिप्पणी मिलने के बाद बोर्ड ने विवाद ख़त्म करने के लिए जरूरी सुझाव मान लिए हैं.
नौकरशाही डेस्क
बैठक में सेंसर चीफ प्रसून जोशी के साथ CBFC द्वारा गठित पैनल में उदयपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़, जयपुर यूनिवर्सिटी के डॉ चंद्रमणी सिंह और प्रोफेसर के.के. सिंह शामिल थे. पैनल के सदस्यों ने पद्मावती से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं और कई पहलुओं पर दावों के साथ सुझाव दिए और इस पर लंबाई चर्चा की गई. बता दें कि फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर विवाद तब शुरू हुआ था, जब फिल्म की शूटिंग के दौरान करणी सेना ने उनका विरोध किया था। साथ ही फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ मार – पीट भी की थी। इसके साल भर बाद जब फिल्म की रिलीज डेट अनाउंस की गई, तब फिर से करणी सेना ने फिल्म ‘पद्मावती’ के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया. जिसकी गूंज कई देशभर में फैल गई.
फिल्म को राजपूत की अस्मिता से जोड़ कर खूब राजनीति भी हुई. इसी बीच पांच राज्यों की सरकार ने बिना फिल्म देखे इसे अपने यहां बैन कर दिया. इस मुद्दे पर बॉलीवुड से भी कई तरह की प्रतिक्रियां आईं, मगर भारत सरकार की ओर से इस पर कोई ठोस बात नहीं कही गई. सरकार की ओर से इस पूरे मामले को सेंसर बोर्ड के हवाले छोड़ दिया गया.
फिल्म के लिए संजय लीला भंसाली ने देश के बड़े पत्रकारों के लिए एक प्रीमियर शो भी रखा, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश वैदिक, अर्नब गोस्वामी, रजत शर्मा जैसे लोग शामिल थे।फिल्म देखने के बाद उन्होंने कहा कि जिस चीज को लेकर विवाद है, वैसी कोई चीज फिल्म में नहीं है। बावजूद इसके करणी सेना का विरोध जारी रहा है। वहीं, लगातार हो रहे विरोध के बीच गुजरात समेत कुछ राज्यों में चुनावों का दौर चल रहा था, जिस पर सत्ताधारी दल ने फिल्म को चुनाव के बाद रिलीज करने की बात कही थी.
दरअसल आरोप है कि संजय लीला भंसाली ने पद्मावती के व्यक्तित्व को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. फिल्म में रानी पद्मावती और खिलजी के बीच ड्रीम सीक्वेंस है. हालांकि भंसाली खुद इस बात को खारिज कर चुके हैं. विवाद की वजह से 12 दिसंबर को प्रस्तावित फिल्म सेंसर में अटक गई और इसकी रिलीज डेट टालनी पड़ी. भंसाली को संसदीय कमेटी के सामने भी पेश होना पड़ा.