यह भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर बदनुमा दाग से कम नहीं कि गया का डीएम सिर्फ हिंदू को ही बनाये जाने का प्रावधान है. बोध गया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी का पदेन अध्यक्ष डीएम होता है और इस एक्ट के तहत यह अनिवार्य है कि वह हिंदू हो.
लेकिन बोध गया के महाबोधि मंदिर में धमाके के बाद बिहार सरकार ने इस एक्ट में संशोधन करने की तैयारी शुरू कर ली है. पत्रकार नवीन मिश्र के अनुसार राज्य सरकार विधानमंडल के आगामी सत्र में बोधगया टेंपल मैनेजमेंट एक्ट में संशोधन करने की तैयारी कर रही हैं.
मौजूदा एक्ट के अनुसार मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष डीएम होता है और इस एक्ट के प्रावधानों के अनुसार टेम्पल कमेटी का अध्यक्ष होने की पहली शर्त यह है कि वह व्यक्ति अनिवार्य रूप से हिंदू हो.
कमेटी में अध्यक्ष के अलावा आठ सदस्य होते हैं जिनमें चार हिंदू और चार बौध होते हैं.
सिर्फ हिंदू ही होते हैं गया के डीएम
इस प्रावधान के चलते आजादी के बाद से अब तक गया का डीएम किसी गैयर हिंदू को नहीं बनाया गया है.
इस एक्ट के खिलाफ पिछले कई दशकों से बौध धर्मावलम्बियों द्वारा आंदोलन चलाये जाते रहे हैं. बौध संगठनों का कहना है कि बौधि मंदिर बौधों का दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि आज तक इस मंदिर प्रबंधन कमेटी का अध्यक्ष किसी बौध को नहीं बनने देने के लिए बौध विरोधी एक्ट बनाया गया.
चूंकि अब तक के प्रावधान के अनुसार प्रबंधन कमेटी में चार बौध और पांच हिंदू होते हैं इसलिए इस में बौधों को कभी बहुमत नहीं दिया गया. उस पर से प्रबंधन समिते का पदेन अध्यक्ष डीएम को बनाया जाता है जो अनिवार्य रूप से हिंदू होता है.
पिछले दिनों हुए बम ब्लास्ट के बाद रामविलास पासवान ने इस एक्ट में सुधार करने की मांग की थी. जिसका विरोध विश्व हिंदू परिषद ने किया था. विश्व हिंदू परिषद ने दावा किया था कि बौध धर्म हिंदू धर्म का ही एक अंग है. उसने रामविलास पासवान को ऐसी मांग करने पर सख्त चेतावनी तक दी थी.
हालांकि बौध संगठनों की मांग है कि जब तक मंदिर प्रबंधन की जिम्मेदारी बौधों के हाथ में नहीं दी जाती तब तक वह ऐसे पक्षपातपूर्ण एक्ट का विरोध करते रहेंगे.
हालांकि अब राज्य सरकार ने इस एक्ट में संशोधन की तैयारी कर ली है. जाहिर है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बौध संगठन राज्य सरकार के इस कदम का स्वागत करेंगे.
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