सेक्स स्कैंडल में फंसे बिहार के तीन जजों को को बर्खास्त करने की खबर से सनसनी फैल गयी है. ये अधिकारी हैं हरिनिवास गुप्ता, जितेंद्र नाथ सिंह और कोमल राम.ये तीनों नेपाल के होटल में पकड़े गये थे.
हरिनिवास गुप्ता समस्तीपुर के परिवार न्यायालय के प्रिंसिपल जज थे. इन दिनों मुजफ्फरपुर में कार्यरत थे. जितेन्द्र नाथ सिंह आरा जिला न्यायालय में अपर सत्र न्यायाधीश (एडीजे) और कोमल राम नवादा में सब जज के पद पर कार्यरत हैं.
दैनिक जागरण के पत्रकार निर्भय सिंह की विस्तृत खबर में बताया गया है कि ये तीनों जज 26 जनवरी को झंडा फहराने के बाद नेपाल के विराटनगर चले गये थे. विराटनगर बस स्टैंड के समीप मेट्रो गेस्ट हाउस एंड होटल में ठहरे। यहां इनके लिए शराब और शबाब की व्यवस्था थी। रात में नेपाली पुलिस की छापेमारी में तीनों अधिकारियों को लड़कियों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया। छापेमारी का नेतृत्व पुलिस इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह कर रहे थे। इस घटना की जानकारी पुलिस इंस्पेक्टर ने वहां के एसपी गोरांग को दी। एसपी को जब यह पता चला कि सभी पदाधिकारी बिहार न्यायिक सेवा के हैं तो उन्होंने बीच-बचाव करते हुए सबको छोड़ दिया। लेकिन नेपाल से प्रकाशित एक अखबार ‘उद्घोष’ ने 29 जनवरी के अंक में घटना का कच्चा-चिट्ठा खोल दिया। तब जितेन्द्र नाथ सिंह अररिया जिला न्यायालय में अपर सत्र न्यायाधीश थे, हरिनिवास गुप्ता समस्तीपुर में जिला जज एवं फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज और कोमल राम अररिया के मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी थे। स्कैंडल में फंसे होने की सूचना मिलने के बाद से इन्हें डिमोट कर आरा, नवादा और समस्तीपुर जिले में पदस्थापित किया गया था। पटना हाईकोर्ट प्रशासन ने न्यायिक अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप की जांच पूर्णिया के जिला जज संजय कुमार से करायी।.
मामला दबा रह जाता पर नेपाल से प्रकाशित एक अखबार ‘उद्घोष’ ने 29 जनवरी के अंक में घटना का कच्चा-चिट्ठा खोल दिया। तब जितेन्द्र नाथ सिंह अररिया जिला न्यायालय में अपर सत्र न्यायाधीश थे, हरिनिवास गुप्ता समस्तीपुर में जिला जज एवं फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज और कोमल राम अररिया के मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी थे।
पटना हाईकोर्ट की ‘फुल कोर्ट मीटिंग’ में शनिवार को तीन न्यायिक पदाधिकारी बर्खास्त कर दिये गये। मुख्य न्यायाधीश रेखा मनोहर दोषित की अध्यक्षता में शनिवार को सभी जजों की सहमति पर तीनों अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया। सेवामुक्त किये जाने के बाद इन्हें किसी प्रकार का वेतन एवं पेंशन नहीं दिया जाएगा। फुल कोर्ट मीटिंग में इन्हें चरित्रहनन का दोषी पाया।
ऐसे हुई जांच
जांच में तीनों न्यायिक पदाधिकारियों की मोबाइल फोन से हुई बातचीत का ब्योरा लिया गया। जितेन्द्र नाथ सिंह के मोबाइल नं.9431258683, कोमल राम के मोबाइल नं. 9431441305 एवं हरिनिवास गुप्ता के नं.9431466188 को खंगाला गया। इसमें यह पता चला कि घटना की तिथि में इनका मोबाइल नेपाल के सीमावर्ती इलाके में था। 27 जनवरी को इनके मोबाइल टावर का लोकेशन फारबिसगंज था। जांच में कोमल राम को छोड़ दोनों अधिकारियों ने स्वीकार किया कि वे 26 व 27 जनवरी को नेपाल में थे। 1इस बात का भी खुलासा हुआ कि तीनों अधिकारियों के बीच काफी बातचीत हुई है। दो देशों के बीच का मामला होने के नाते नेपाल में न्यायिक अधिकारियों की इस हरकत की जानकारी केन्द्र सरकार तक चली गई। केन्द्र सरकार के गृह मंत्रलय के उप सचिव ने 20 जून 2013 को पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को दो पन्ने की चिट्ठी लिखी जिसमें मुख्य न्यायाधीश से वाकये का संज्ञान लेने को कहा गया। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ने पूरे प्रकरण की जांच संबंधित पटना हाईकोर्ट के इंस्पेक्टिंग जज से भी कराई जिसमें सभी आरोप सही पाये गये।