जहानाबाद जिला की एक अदालत ने 17 साल पुराने 34 लोगों के सेनारी नरसंहार कांड के 15 आरोपियों को आज दोषी करार दिया, जबकि 23 अन्य को साक्ष्य के अभाव में बरी घोषित कर दिया। अतिरिक्त जिला जज तृतीय रंजीत कुमार सिंह ने माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर द्वारा एक जाति विशेष के उक्त नरसंहार मामले में आज 15 आरोपियों को दोषी करार दिया जबकि 23 अन्य को साक्ष्य के अभाव में बरी घोषित किया। इस मामले में अदालत द्वारा आगामी 15 नवंबर को सजा सुनायी जायेगी।
जहानाबाद से अलग हुए वर्तमान अरवल जिला के करपी थाना अंतर्गत सेनारी गांव के ठाकुरबाडी के निकट लोगों को इकट्ठा कर एक जाति विशेष के 34 लोगों की 18 मार्च 1999 को गला रेतकर हत्या कर दी गयी थी। इस हमले में सात अन्य व्यक्ति जख्मी हो गये थे। इस मामले की सूचक चिंतामणि देवी थीं, जिनके पति और पुत्र की हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में पुलिस द्वारा व्यास यादव उर्फ नरेश यादव और 500 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
इस मामले में 74 लोगों के खिलाफ 2002 में आरोपपत्र दायर किया गया तथा 56 के खिलाफ ट्रायल शुरू किया गया, जबकि 18 अन्य फरार थे। बाद में अदालत द्वारा 45 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र गठित किया गया, जिनमें दो की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गयी तथा पांच अन्य लापता हैं। इस मामले में 38 लोगों के खिलाफ अतिरिक्त जिला जज तृतीय की अदालत में ट्रायल चला, जिनमें 15 को आज दोषी करार दिया गया जबकि 23 अन्य को साक्ष्य के अभाव में बरी घोषित किया गया।