सोशल मीडिया ने ऐसे उड़ाया गोदी मीडिया व ट्रोल आर्मी के होश
दुनिया के मीडिया भारत में माहामारी के लिए पीएम मोदी को जिम्मेवार मान रही है, पर भारतीय मीडिया सिस्टम को दोषी बता रहा।
ट्विटर से पोस्ट हटाए जा रहे हैं। कुमार अनिल महामारी से पूरा भारत कराह रहा है। दुनियाभर के अखबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अक्षम, अहंकारी जैसे विशेषणों से विभूषित कर रहे हैं, वहीं भारत का मीडिया इस भयानक दौर में भी प्रधानमंत्री से सवाल पूछने की हिम्मत नहीं कर रहा है।
कल अचानक सारे टीवी में एक ही बात दुहराई जाने लगी कि सिस्टम फेल है। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के रक्षाकवच बने मुख्यधारा की मीडिया और सोशल मीडिया में एक युद्ध छिड़ गया है। जब पूरे यूपी में हाहाकार मचा है, तब आज के नवभारत टाइम्स के लखनऊ एडिशन में आठ कॉलम की खबर है- आक्सीजन, बेड, दवा की कमी नहीं-योगी।
जहां मेनस्ट्रीम मीडिया सिस्टम के नाम पर सारा दोष अस्पतालों, राज्य सरकारों पर डाल देना चाहता है, वहीं सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एक हैशटैग पुराना पड़ता नहीं कि दूसरा शुरू हो जाता है। जैसे ही कल टीवी चैनलों पर एक सुर में सिस्टम पर दोष मढ़ा जाने लगा, वैसे ही सोशल मीडिया पर लाखों लोग कहने लगे कि सिस्टम मतलब मोदी।
टीवी चैनल कल तक कह रहा था कि कोरोना की मौत मरेगा पाकिस्तान और देशवासी मगन थे। उन्हें पाकिस्तान की बदहाली सुन-सनकर रस आ रहा था और हमारे घर में मौत धीर-धीरे पांव पसार रही थी। आज लोग मीडिया से पूछ रहे हैं कि जिस पाकिस्तान को गाली देते थकते नहीं थे, वही आज भारत की महामारी से दुखी है। हमारे लिए दुआएं कर रहा है।
आज तेजस्वी यादव ने भी मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश के सेलेब्रिटीज, सुपर स्टार कहां छिप गए हैं। ग्रेटा थनबर्ग जिसे भारत विरोधी बताने में मुंबई के सारे स्टार, खिलाड़ी कूद पड़े, वही थनबर्ट आज भारत की मदद के लिए दुनिया से अपील कर रही है। तबलीगी बम कहकर खास वर्ग को टारगेट करनेवाले आज चुप है, जबकि मुंबई में मुस्लिम युवक पीपीई किट पहन कर सेवा कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि अब कपड़ों से कैसे पहचानोगे। सरकार के साथ ही आरएसएस को भी देश की छवि की चिंता है। शायद इसीलिए सरकार के कहने पर ट्विटर से ऐसे पोस्ट हटाए जा रहे हैं, जिनसे स्थिति की विकरालता दिखती है।
सोशल मीडिया की ताकत के सामने सिस्टम से निर्देशित चैनल आज बचाव करते-करते हांफ रहे हैं, पर लोगों का गुस्सा कम नहीं हो रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस ने अच्छी पहल की है। वह अब आईपीएल की खबर नहीं छापेगा और रिपोर्टरों को महामारी की रिपोर्ट में लगाएगा। यह भी सोशल मीडिया का दबाव ही है।
सवाल तो यह है कि आईपीएल हो क्यों रहा है? सरकार को आज नहीं तो कल वैक्सीन के नाम पर लूट को भी बंद करके मुफ्त देने पर बाध्य होना पड़ेगा, क्योंकि टीका ही अंत में कोरोना से बचाएगा।