केंद्र सरकार ने भविष्य में देश की बिजली जरुरतों के लिए कार्बन मुक्त स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चत करने के लिए सौर ऊर्जा और अल्ट्रा ऊर्जा पार्कों की उत्पादन क्षमता को 20 हजार मेगावाट से बढ़ाकर 40 हजार मेगावाट करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में इसका अनुमोदन किया गया। इससे देश के विभिन्न हिस्सों में 500 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले 50 अतिरिक्त सौर ऊर्जा पार्क विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा। नयी योजना के तहत ऐसे पार्क हिमालय और अन्य दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में भी खोलने पर विचार किया जाएगा।
सरकार ने राज्यों की मांग पर अतिरिक्त सौर ऊर्जा पार्क विकसित करने का फैसला किया है। नये उच्च क्षमता वाले सौर ऊर्जा पार्क और अल्ट्रा ऊर्जा पार्क परियोजना साल 2019-20 के दौरान लगाई जाएंगी। इसके लिए केन्द्र की ओर से 8100 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद दी जाएगी। इन पार्कों की कुल उत्पादन क्षमता 64 अरब यूनिट सालाना होगी जिससे पर्यावरण में हर साल 5 करोड़ 50 लाख टन कार्बन के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा। इसके अलावा इसके साथ ही सौर परियोजनाओं से जुड़े अन्य उद्योगों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। परती पड़ी जमीनों का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा।
प्रस्तावित पार्कों का विकसित करने, इनके लिए भूमि चिह्नित करने और इनका प्रबंधन देखने का काम राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारें केन्द्र के सहयोग से करेंगी। इसके लिए उन्हें परियोजना प्रस्ताव नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजना होगा, जिसके बाद मंत्रालय की ओर से पार्क विकसित करने का अनुबंध लेनी वाली कंपनियो को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए 25 लाख रुपए जारी करेगा। परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद केन्द्र की ओर से वित्तीय मदद के रुप में 20 लाख रुपए या परियोजना की लागत राशि का 30 फीसदी जो भी कम होगा जारी किया जाएगा। इसके अलावा परियोजना को ग्रिड से जोड़ने का खर्च भी केन्द्र सरकार की ओर दिया जाएगा। देश में फिलहाल 20 हजार मेगावाट औसत बिजली उत्पादन क्षमता वाले ऐसे 34 सौर ऊर्जा पार्क पहले से ही काम कर रहे हैं।