जन स्वास्स्थ अभियान बिहार द्वारा बिहार हेल्थ असेंबली 2018 का आयोजन आज बिहार चैंबर ऑफ़ कॉमर्स में किया गया। इस हेल्थ असेंबली में स्वास्थ्य जन घोषणा पत्र को जारी करते हुए जन स्वास्थ्य अभियान के नेशनल कन्वेनर डॉ अभय शुक्ला ने कहा कि स्वास्थ्य, जन स्वास्थ्य और लोकतंत्र का गहरा रिश्ता है अगर हम एक वेलफेयर स्टेट बनाना चाहते हैं तो हमें समाज को स्वस्थ रखने के लिए स्वास्थ्य के बजट को बढ़ाना होगा।
नौकरशाही डेस्क
बिहार में एक तिहाई महिलाएं शारीरिक रुप से कमजोर हैं । इन महिलाओं में एनीमिया के लक्षण पाए जाते है। बच्चों में कुपोषण के लक्षण देखे जा रहे है। वही दुसरी तरफ सरकार अपने संस्थागत निर्मित अस्पताल , हेल्थ केंद्र को विकसित करने के बजाए विमा कम्पनियों को बढावा दे रही है। डॉक्टर शुक्ला ने कहा की इस परिस्थितियों में हमें स्वास्थ्य में मुद्दों को एक जनआन्दोलन का रुप देना होगा।
जन स्वास्थ्य अभियान के बिहार कन्वेनर डॉक्टर शकील ने कहा कि एन एच ए के जारी आकांडे के अनुसार प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष बिहार सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर किया जाने वाला खर्च महज 338रुपया हैं। जो की 20राज्यों में सबसे न्यूनतम हैं। जन स्वास्थ्य अभियान बिहार ने बिहार सरकार के बजट का विश्लेष्ण कर पाया है कि प्रति व्यक्ति मात्र 14रुपया प्रतिवर्ष बिहार सरकार दवाओं पर खर्च करती है। हमारी मांग है कि सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने बजट को बढाए और 30हजार की आबादी पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जाए। जिसमें 24 घंटे एम्बुलेंस की सुबिधा हो। जिससे की हमारा शरीर हमारा स्वास्थ्य की परिकल्पना को साकार किया जा सके ।
बिहार हेल्थ असेंबली को सम्बोधित करते हुए डॉक्टर मधुमिता चटर्जी, कम्युनिटी मेडिसिन पी एम सी एच ,ने कहा की भारत की आबादी को देखते हुए सरकार को अपने हेल्थ केयर डिलिवरि सिस्टम को मजबुत कारण होगा। अगर सरकार अपने अस्पताल और प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र को मजबुत कर देती है तो इसे आयुस्मान भारत जैसी योजनाओं की जरुरत नहीं पड़ेगी।
जन स्वास्थ अभियान द्वारा आयोजित इस हेल्थ असेंबली को डॉक्टर निलान्गी,संदीप ओझा, प्रतियुष प्रकाश, प्रियदर्शनि और सुशीला जी ने सम्बोधित किया। मौके पर समाजिक कार्यकर्ता सुधा बर्गीज, निवेदीता झा,रुपेश सहित सैकडों लोग मैजुद थे। कार्यकर्म के आयोजन में सहयोग चार्म, सेव द चिल्ड्रेन, सी थ्री और ऑक्सफेम ने किया।