डेढ़ महीने से अधिक की राजनीतिक उठापटक और कानूनी दांव पेंच के बाद उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार फिर से बहाल हो गयी है, जिससे जहां कांग्रेस में जश्न का माहौल है। वहीं इसे भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार के लिये झटका माना जा रहा है। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कल राज्य विधानसभा में कराये गये शक्ति परीक्षण से रावत सरकार की बहाली तय हो गयी थी लेकिन आज इस पर उस समय मुहर लगी, जब एटार्नी जनरल ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि श्री हरीश रावत ने अपना बहुमत सिद्ध कर दिया है और केंद्र सरकार राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने जा रही है। इस पर न्यायालय ने केन्द्र सरकार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन वापस लेने की मंजूरी दे दी। साथ ही राष्ट्रपति शासन हटाने के आदेश के प्रति अदालत में रखने का निर्देश दिया।
इसके तुरंत बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की हुयी बैठक में उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश करने का फैसला लिया गया। राज्य में 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, जिसे पहले नैनीताल उच्च न्यायालय की एकल पीठ और फिर दो न्यायाधीशों की पीठ ने हटाने और श्री रावत को बहुमत सिद्ध करने का निर्देश दिया था। इसे केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले का हल निकालने के लिये विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने का ही रास्ता चुना।
न्यायामूर्ति दीपक मिश्रा एवं न्यायमूर्ति शिवकीर्ति की पीठ ने आज कहा कि सभी जरुरी औपचारिकताओं के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत अपना कार्यभार संभाल सकते हैं। श्री रोहतगी ने न्यायालय को बताया कि श्री रावत के समर्थन में 33 मत पड़े हैं, जबकि विरोध में 28 मत पड़े हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि हरीश रावत ने बहुमत साबित कर दिया है और सरकार उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटा रही है।