राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने न्यायपालिका में पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और गरीब सवर्णों का प्रतिनिधित्व न होने को लेकर चिंता जताते हुए आज घोषणा की कि इसके लिए पार्टी अगले माह से ‘हल्ला बोल, दरवाजा खोल’ अभियान चलायेगी।
रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पार्टी का मानना है कि इन वर्गों का प्रतिनिधित्व न्यायपालिका, खासकर उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में नहीं होने से गरीबों और वंचितों को न्याय-व्यवस्था पर भरोसा नहीं हो पाता है।
उन्होंने घोषणा की कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा, अति पिछड़ा, गरीब सवर्ण, अल्पसंख्यक और वंचितों को न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए रालोसपा पूरे देश में ‘हल्ला बोल, दरवाजा खोल’ अभियान चलायेगी। अभियान की शुरुआत दिल्ली से होगी, जहां यह कार्यक्रम 20 मई को आयोजित किया जायेगा।
श्री कुशवाहा ने बताया कि अभियान के पहले चरण में राजधानी दिल्ली एवं विभिन्न प्रदेशों की राजधानियों में पार्टी सेमिनार एवं विचार गोष्ठियों का आयोजन करेगी तथा बुद्धिजीवियों, चिंतकों, विचारकों और दूसरे प्रबुद्ध तबकों से विमर्श करके इस संदर्भ में भविष्य की रणनीति तय करेगी। रालोसपा अध्यक्ष ने न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की वकालत करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को यह श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि अब तक नियुक्त न्यायाधीशों में से गरीब-मजदूर परिवारों के कितने न्यायाधीश हैं।