पटना हाईकोर्ट ने भारत चुनाव आयोग को स्थानीय निकाय के पार्षदों के लिए होने वाले चुनाव में परिवर्तन लाने का निर्देश दिया। चुनाव आयोग को 30 जून तक अधिसूचना निकालकर ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि प्रत्येक दो साल में एक तिहाई पार्षद रिटायर हो जाएं।
मुख्य न्यायाधीश एल एम नरसिम्हा रेड्डी एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की खंडपीठ ने देवेश चन्द्र ठाकुर की लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की, जिसमें साफ कर दिया गया कि स्थानीय निकाय कोटे के लिए होने वाला चुनाव संवैधानिक तरीके से ही होगा। इसलिए चुनाव आयोग को पहले ही तय कर देना होगा कि कौन सीट कितने दिनों के लिए भरी जा रही है। अर्थात 24 सीट के लिए होने वाले चुनाव में पहले ही तय हो जाएगा कि किस पार्षद का कार्यकाल 2 साल, किसका 4 और किसका 6 साल का कार्यकाल होगा। फिलहाल नयी व्यवस्था के तहत सब का कार्यकाल 6 साल कर दिया गया था।
हालांकि याचिकाकर्ता इस चुनाव को ही रद कराने के पक्ष में थे, लेकिन खंडपीठ ने साफ कर दिया कि चुनाव निर्धारित तिथि 7 जुलाई को ही होगा। सुनवाई में वरीय अधिवक्ता विनोद कुमार कंठ एवं अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने सम्मिलित रूप से कहा कि संवैधानिक प्रावधानों की धज्जियां उड़ा कर चुनाव हो रहा है। जबकि 1976 में ही प्रत्येक दो वर्ष पर एक तिहाई विधान पार्षदों को रिटायर करने की व्यवस्था की गई थी। उसके बाद लंबे समय तक चुनाव ही नहीं हुआ। 2003 में चुनाव हुआ लेकिन प्रावधानों का ख्याल नहीं किया गया।