मनोज मित्ता की रिपोर्ट बताती है कि पटना हाईकोर्ट ने पिछले 18 महीने में दलित जनसंहारों की चार घटनाओं के आरोपियों को एक-एक कर बरी कर दिया.
दलितों के खिलाफ होने वाले लगभग सभी बड़े अपराधों पर, पटना हाईकोर्ट द्वार पिछले डेढ़ साल में किये गये फैसलों में सभी अपराधियों को बरी कर दिया गया है. ये सब अपराधी रणवीर सेना से ताल्लुक रखते है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इन तमाम चार बड़े नरसहांरों में निचली अदालतों ने सभी आरोपियों को सजा सुनाई थी.
लक्ष्मणपुर बैथे, 1997
इस प्रकार लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के 26 दोषियों को को पटना हाईकोर्ट द्वारा बरी किया जाना पिछले तीन नरसंहारों में आरोपियों को मुक्त किये जाने के बाद की अगली कड़ी है. 1997 के बाथे नरसंहार में गत 9 अक्टूबर को दिये फैसले में अदालत ने सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया. हालांकि इस मामले में निचली अदालत ने 16 को मौत की सजा जबकि 10 को उम्रकैद की सजा सुनायी थी.
मियांपुर नरसंहार, 2000
इससे पहले 3 जुलाई को हाईकोर्ट ने मियांपुर नरसंहार का फैसला सुनाया था. उसमें हाईकोर्ट ने 10 में से 9 अभियुक्तों को बरी कर दिया. हालांकि 2007 में निचली अदालत ने सभी 10 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मियांपुर निरसंहार सन 2000 में हुआ था और इसमें भी प्रतिबंधित रणवीर सेना का हाथ था.
नगरी बजार जनसंहार, 1998
इसी प्रकार नगरी बाजार जनसंहार में भी हाईकोर्ट ने सभी 11 अभियुक्तों को बरी कर दिया था. यह जनसंहार 1998 में हुआ था और इसमें भी रणवीर सेना का नाम था. निचली अदालत ने इस जनसंहार में 8 को आजीवन कारावास और तीन को मौत की सजा सुनाई थी.
बथानी टोला जनसंहार, 1996
जनसंहारों पर हुए हाईकोर्ट के फैसले में से एक फैसला बथानी टोला जनसंहार का भी है. 1996 में हुए इस जनसंहार में 21 दलितों की जान गयी थी. 27 अप्रैल 2012 को सुनाये अपने फैसले में हाईकोर्ट ने रणवीर सेना के 23 लोगों को बरी कर दिया था.इसमें हाईकोर्ट का तर्क था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं हैं. हालांकि निचली अदालत ने इस मामले में भी 3 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनायी थी जबिक 20 को उम्रकैद की सजा दी थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया से साभार