पटना हाईकोर्ट ने मैट्रिक परीक्षा में नकल को रोकने का सख्त आदेश देते हुए कहा कि अगर शिक्षा मंत्री ने ऐसा करने में असमर्थता जताई है, तो उनको इस्तीफा दे देना चाहिए। शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कहा था कि परीक्षा में नकल को रोकना अकेले सरकार के बूते नहीं है। पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिम्हा रेड्डी एवं न्यायमूर्ति विकास जैन की खंडपीठ ने परीक्षा में नकल और इस बारे में शिक्षा मंत्री के बयान पर तल्ख टिप्पणी की।
वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी एवं अन्य वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को अखबारों में छपी नकल की तस्वीरें दिखाईं। चौधरी के अनुसार सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि अगर शिक्षा मंत्री ने नकल रोकने में सरकार को असमर्थ बताया है, तो उनको पद छोड़ देना चाहिए, इस्तीफा दे देना चाहिए। खंडपीठ ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
इस बीच शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने कहा है कि सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को हर हाल में नकल रोकने को कहा गया है। उन्होंने कहा- मीडिया में आई तस्वीर में साफ है कि पुलिस की मौजूदगी में भी लोग खिड़की से नकल करवा रहे हैं। यह अक्षम्य है। उधर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों से मांगी 24 घंटे में रिपोर्ट। जिलों की रिपोर्ट में जिन केंद्रों से नकल मामले सामने आएंगे, वहां परीक्षा रद्द की जाएगी। बताया जाता है कि राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है। आयोग ने सभी मंडलीय आयुक्त, आईजी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दस दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
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