हार्दिक पटेल के एक बयान ने साबित कर दिया है कि वह आरक्षण मांगने के बजाये आरक्षण खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
उन्होंने अंग्रेजी अखबार द हिंदू के पत्रकार महेश लांगा को दिये इंटर्व्यू में साफ कहा कि या तो देश से आरक्षण खत्म किया जाये या फिर सबको इसका लाभ दिया जाये.
गौर करने की बात है कि हार्दिक जिस पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं वह सामाजिक रूप से अगड़ी जाति में आता है. भारत में आरक्षण का आधार सामाजिक है. इतना ही नहीं गुजरात में पटेल समुदाय भूस्वामियों का समुदाय है और कारोबार और उद्योग जगत पर इस समुदाय की मजबूत पकड़ है. विश्व भर में विख्यात हीरा व्यवसाय पर पटेलों का वर्चस्व है.
पटेल ने हिंदू को दिये साक्षात्कार में कहा कि मैं राजनीति करने नहीं चला हूं लेकिन इतना तय है कि राजनीति को रिमोट कंट्रोल के रूप में मैं चलाना चाहता हूं. हार्दिक ने इस साक्षात्कार में बाल ठाकरे और सरदार पटेल को अपना आदर्श बताया. याद रहे कि बाल ठाकरे कभी भी राजनीतिक पद पर नहीं रहे लेकिन महाराष्ट्र में जब भी उनकी पार्टी सत्ता में आयी उन्होंने किसी कमजोर व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनवाया और पूरे सिस्टम को अपनी पसंद के मुख्यमंत्री से नियंत्रित किया.
हार्दिक ने इस साक्षात्कार में यह भी कहा कि जिन सत्तर लाख लोगों ने उनका समर्थन किया है वो कुछ भी कर सकते हैं. वह देश के बैंकों से अपने पैसे खीच सकते हैं, फलों और सब्जियों की आपूर्ति ठप कर सकते हैं और दूध के बजार को भी प्रभावित कर सकते हैं.
याद रहे कि हार्दिक पटेल को पिछले दो महीने पूर्व गुजरात के बाहर कोई जानता तक नहीं था लेकिन लगातार धरना और प्रदर्शन के बाद मीडिया के एक वर्ग ने उन्हें रांतो रात कवरेज देना शुरू कर दिया.
गुजरात में पटेल समुदाय न सिर्फ सामाजिक और आर्थिक रूप से वर्चस्व रखता है बल्कि गुजरात में इस समुदाय के अब तक 7 मुख्यमंती बन चुके हैं. इनमें केशू भाई पटेल के अलावा मौजूदा सीएम आनंदी बेन पटेल भी शामिल हैं.
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