बीती रात के अंधियारे में दिल्ली पुलिस ने घरों का दरवाजा तोड़ , न सिर्फ छात्रों बल्कि छात्राओं को भी घसीट कर निकाला और बुरी तरह से पीटा. ऐसे में यह सवाल कि हिंदी प्रेम का डंका बजाने वाली सरकार क्रूर क्यों बनी है.

मुकेश कुमार की रिपोर्ट

बेरहमी की हद
बेरहमी की हद

ये छात्र सिविल सेवा परीक्षा के सी-सैट पैटर्न के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे.

सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा से सी-सैट को हटाने की मांग को लेकर दिल्ली के मुखर्जीनगर में जारी शांतिपूर्ण आंदोलन को पुलिस की बर्बरता का सामना करना पड़ा.

अनशन कर रहे छात्रों को जबर्दस्ती अनशन स्थल से हटाकर अस्पताल में भर्ती किये जाने के विरोध में मुखर्जीनगर में कैंडल मार्च निकाल रहे छात्रों को दिल्ली पुलिस ने बर्बरतापूर्ण दमन किया.दिल्ली पुलिस दमन की पूरी तैयारी कर चुकी थी क्योकिं मुखर्जीनगर के आसपास के क्षेत्रों में बेरिकेडिंग की गई थी.

दमन की हदें तब पार कर गई जब रात में नेहरू विहार की बिजली काट दी गई और फिर शुरू हुआ दिल्ली पुलिस की दरिंदगी.जब छात्रों को निकाल-निकाल कर बर्बर तरीकों से पीटा गया.कई छात्रों ने बताया की भूतल के कमरों के दरवाजे तोड़ कर बुरी तरह पीटा गया मानो कोई देशद्रोही हो.यह दमन लैंगिक अतिक्रमण करता रहा.न केवल छात्रों बल्कि छात्रायों को भी इसका शिकार होना पड़ा.घटना में एक दर्जन से ज्यादा छात्र-छात्रायों को गंभीर रूप से चोटें आईं है.कुछ छात्रों के गायब होने की भी खबर है.मुकेश नमक आंदोलनकारी के शहीद होने की अफवाह भी फ़ैल गई.समाचार लिखे जाने तह यह गायब हैं.पुलिस इसपर मौन है.आंदोलन का नेतृत्व कर रहे “बाबा जी” को भी पुलिस ने रात में हिरासत में ले लिया है.अनशन मंच को भी तहस-नहस कर दिया गया है.

यह सरकार इतनी तानाशाह हो गई है की किसी को शांतिपूर्ण तरीके से अनशन करने का अधिकार भी समाप्त करना चाहती है?आखिर दिल्ली पुलिस ने यह बर्बरतापूर्ण दमन किसके आदेश पर किया?सरकार के आश्वासन के बाद यह दमन क्या संकेत देता है?

संयुक्तराष्ट्र संघ में अटलबिहारी वाजपेयी के हिन्दी में भाषण देने पर गर्व करने वाले आज कंहा हैं जब शांतिपूर्ण अनशन को एक स्वतंत्र,लोकतांत्रिक राष्ट्र में पुलिसिया बर्बरता का सामना करना पड़ रहा है?

By Editor


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