शीघ्र हीं समग्र विश्व में हिंदी का स्थान सबसे ऊँचा होगामृदुला सिन्हा

हिंदी साहित्य सम्मेलन के ३९वेम महाधिवेशन का हुआ भव्य उद्घाटन

नवनिर्मित शताब्दीद्वार का महामहिमराज्यपाल ने किया लोकार्पण

विराट कविसम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम से अघाया पटना।

कवि सोम ठाकुर और डा सुरेश अवस्थी समेत कई हुए सम्मानित

कल समापन समारोह में आयोजित होगा अलंकरणसमारोह

पटना१७ मार्च। विश्व में हिंदी का स्थान शीघ्र हीं सबसे ऊँचा होगा। हिंदी में देश को जोड़ने की ही नहीविश्वबंधुत्व की अवधारणा की भाँति वसुधा को एक सूत्र में पिरोने की शक्ति है। साहित्यकारों को मधुमक्खी की भाँति,शुभ विचारों के परागसंग्रहित कर अमृत समान मधु समाज को देना चाहिए। आज बदले हुए समाज मे इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

यह बातें आज यहाँ बिहार हिंदी साहित्य सम्मान द्वार आयोजित दो दिवसीय ३९वें महाधिवेशन का उद्घाटन करने के पश्चात अपने संबोधन में गोवा की महामहिम राज्यपाल एवं विदुषी साहित्यकार डा मृदुला सिन्हा ने कही। डा सिन्हा ने कहा किभारत के प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में हिंदी भाषा का प्रयोग करना चाहिए। जब सभी भारतीय ऐसा करने लगेंगे तो स्वतः हिंदी के सामने आने वाली सारी बाधाएँ दूर हो जाएगी।

उन्होंने बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की वर्तमान कार्यसमिति के कार्यों की सराहना करती हुई कहा किविगत ९९ वर्षों के इस गरिमामयी संस्था के पिछले ४० वर्षों में जो कार्य नही नहुए,उसे वर्तमान समिति ने ४ वर्षों में कर दिखाया है। साहित्य सम्मेलन की पुरानी गरिमा लौट रही हैयह बहुत हीं प्रशंसनीय और संतोष जनक है।इसके पूर्व उन्होंने सम्मेलन के नवनिर्मित शताब्दीदार‘ का लोकार्पण किया।

समारोह के मुख्य अतिथि और मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा किसम्मेलन ने इस महाधिवेशन कोबिहार की हीं नहीदेश की दो महान साहित्यिक विभूतियों आचार्य शिवपूजन सहाय तथा महापंडित राहुल सांकृत्यायन को समर्पित कर बड़ा हीं महत्त्व का कार्य किया हैजिनका यह १२५वाँ जयंती वर्ष है। दोनों हीं विद्वान साहित्य के गौरवस्तम्भ हैं।

उन्होंने सम्मेलन के शताब्दीवर्ष को ख़ूब धूमधाम से मनाने का सुझाव देते हुए कहा किइसे गरिमापूर्ण ढंग से मनाया जाए और पूरे देश को साहित्य का बड़ा संदेश पहुँचेऐसे ऐतिहासिक आयोजन किए जाएँ।

इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए अधिवेशन के स्वागताध्यक्ष और सांसद डा सी पी ठाकुर ने कहा किसम्मेलन का यह महाधिवेशन अपने शताब्दीवर्ष के द्वार पर आयोजित हुआ है। इससे संपूर्ण बिहार हीं नहीबल्कि देश की हिंदी के प्रति निष्ठा बढ़ेगी। उन्होंने विद्वानों से आग्रह किया किहिंदीविज्ञान और तकनीक की भाषा कितनी शीघ्रता से बनेयह सुनिश्चित करना चाहिए।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में सम्मेलनाध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा किइस अधिवेशन की व्यापक सफलता नेविद्वानों कोसम्मेलन के उस स्वर्णिमकाल का स्मरण दिलाया हैजस काल में आचार्य शिवपूजन सहाय और नलिन विलोचन शर्मा जैसे विद्वान सम्मेलन में स्थायी रूप से रहकर हिंदी की सेवा कर रहे थेऔर उस काल में देश के मनीषी साहित्यकार सम्मेलन को साहित्य का मंदिर‘ समझ कर अपनी पूजा देने आते थे। डा सुलभ ने कहा किसम्मेलन के शताब्दीवर्ष मेंबिहार के सभी साहित्यकारों का परिचयग्रंथ प्रकाशित किया जाएगा। वे यह सुनिश्चहित करेंगे किप्रदेश का एक भी साहित्यकार इस ग्रंथ में आने से छूट नहीं जाए। प्रकाशयग्रंथ मन कवि के चित्र सहित परिचय के साथ उनकी प्रतिनिधि रचनाओं का प्रकाशन किया जाएगा।

उद्घाटन समारोह को सुप्रसिद्ध कवि डा सोम ठाकुरकवि डा सुरेश अवस्थीप्रो शशि शेखर तिवारीडा एस एन पी सिन्हाडा मेजर बलबीर सिंह भसीनडा कुमार अरुणोदय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवादज्ञापन सम्मेलन के प्रधान मंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने किया।

इस अवसर पर प्रो शशि शेखर तिवारी को महापंडित राहुल सांकृत्यायन समानडा सोम ठाकुर को राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर सम्मानडा सुरेश अवस्थी को गोपाल सिंह नेपाली सम्मानमेजर बलबीर सिंह भसीन‘ को संत कवि गुरु गोविंद सिंह महाराज साहित्य साधना सम्मानडा कमल मुसद्दी को चतुर्वेदी प्रतिभा मिश्र साहित्यसाधना सम्मानडा अरुण सज्जन को राम वृक्ष बेनीपुरी सम्मानडा शंभु प्रसाद सिंह को राम गोपाल शर्मा रूद्र सम्मानमहेश कुमार बजाज को महाकवि आरसी प्रसाद सिंह सम्मानडा तारा सिंह को प्रकाशवती नारायण सम्मानडा रमेश चौधरी रमण‘ को कलक्टर सिंह केसरी सम्मान तथा दीनानाथ साहनी को फनीशवनाथ रेणु सम्मान से सम्मानित किया गया।

By Editor


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