चुनाव में हिंदुओं का साथ नहीं देने पर एक दलित परिवार को अंतिम संस्कार के लिए मुसलमानों से मदद लेनी पड़ी. हिंदुओं ने अंतिम संस्कार का बहिष्कार किया तो मुसलमानों ने पूरे विधान से दिलत का अंतिम संस्कार किया.
अमर उजाला की रिपोर्ट
देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द पर छिड़ी बहस के बीच शुक्रवार को बेहट के हलालपुर गांव में मुस्लिम समाज के लोगों ने अनूठी मिसाल पेश की है। चुनाव में दूसरे संप्रदाय के व्यक्ति को वोट देने के चलते दलित परिवार के मुखिया की मौत पर अंतिम संस्कार में हिंदू समाज के लोगों के शामिल होने के इनकार कर दिया। इसके बाद मुस्लिम समाज के लोग आगे आए।
अर्थी को बाकायदा कंधा देकर मुस्लिम समाज के लोगों ने पूरे हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया। विकास खंड मुजफ्फराबाद की ग्राम पंचायत दयालपुर में सैनी बिरादरी के दीपक कुमार और मुस्लिम समुदाय की तेली बिरादरी के सईद अहमद प्रधानी के चुनाव में आमने-सामने थे। चुनाव में सईद के साथ दलित रामदिया का परिवार खुलकर समर्थन में था।
परिवार का आरोप है कि चुनाव के समय हिंदू समाज के लोगों ने उसे धमकी दी थी कि उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। अगर उनके परिवार में किसी की मौत होती है, तो मुस्लिम समुदाय के लोग ही उसकी अर्थी उठाकर ले जाएंगे।