महादलित बच्चों को जातिसूचक शब्दों से गालियां देने और उन्हें स्कूल से बाहर करने की खबर हिंदुस्तान अखबार ने प्रकाशित की है. प्रताड़ना करने वाले व्यक्ति को दबंग कहके संबोधित करने वाले अखबार ने पूरी खबर में उस व्यक्ति का नाम उजागर नहीं किया है.
बेगुसराय के अमरौर किरतपुर पंचायत के पंद्रह महादलित बच्चों को यह दबंग बेरहमी से पीटता और टार्चर करता है. अखबार के अनुसरा यह दबंग उस महिला को भी मारपीट किया जिसने इस संबंध में शिकायत ले कर गयी. अखबार ने लिखा है कि उक्त दबंग ने 9 सितम्बर को स्कूल पहुंच कर एक बच्चे को बेरहमी से पीटा इतना ही नहीं उसने तमाम दलित बच्चों को धमकाया कि वे इस स्कूल को छोड़ कर अपनी पंचायत के स्कूल में जायें. अखबार ने लिखा है कि इन बच्चों ने जिले के डीएम के जनता दरबार में इसकी शिकायत की है.
एक जवबदेह अखबार होने का दावा करने वाले इस अखबार ने इस खबर को प्रमुखता से पटना एडिशन में पेज नम्बर 16 पर तो छापा है लेकिन पूरी खबर में कहीं भी उस कथित दबंग का नाम तक नहीं लिया है. ऐसा नहीं है कि जब डीएम के पास ये बच्चे अपनी शिकायत ले कर गये तो उन्होंने उस दबंग का नाम नहीं लिया होगा. अखबार के रिपोर्टर ने यह नाम अगर छुपाने की कोशिश की है तो डेस्क के इंचार्जों की क्या जिम्मेदारी है? आखिर यह अखबार उस दबंग का नाम क्यों छुपाना चाह रहा है?