मोदी सरकार के कार्यकाल में भीड़ के हाथों 23 लोगों के मारे जाने की घटना के विरोध में देश भर में सात जुलाई को सभी पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर प्रतिरोध दिवस मनाया जायेगा। मशहूर सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में भूमि अधिकार आन्दोलन ने झारखण्ड की राजधानी रांची में आयोजित अपने तीसरे अखिल भारतीय सम्मलेन में यह निर्णय लिया।
भूमि अधिकार आन्दोलन से जुड़े अखिल भारतीय किसान सभा के प्रमुख एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सांसद हन्नान मोल्लाह ने पत्रकारों को बताया कि मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ में 63 संगठनों के मोर्चा राष्ट्रीय किसान महासंघ नीति आयोग का घेराव करने भी जा रहा है और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति की और से छह जुलाई से मध्य प्रदेश के मंदसौर से राजस्थान हरियाणा होते हुए एक पदयात्रा भी निकली जा रही है, जो 18 जुलाई को दिल्ली में समाप्त होगी। श्री मोल्लाह बताया कि मोदी सरकार की नीतियों के कारण जहां एक तरफ किसान संकट में हैं वही दूसरी तरफ भीड़ द्वारा निर्दोष लोगों को पीट-पीट कर मारे जाने की भी घटनाएं हो रही हैं और अब तक 23 लोग मारे जा चुके हैं। इनमें दलित और मुस्लिम निशाने पर हैं।
उन्होंने बताया कि श्री मोदी ने चुनाव से पूर्व 250 जनसभाओं में कहा था कि किसानों के हित में स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट लागू की जायेगी लेकिन अब सरकार ने अदालत में कह दिया है कि रिपोर्ट लागू नहीं की जायेगी। उन्होंने कहा कि दो हेक्टेयर जमीन वाले सभी किसानों को पांच हज़ार रुपए पेंशन देने, मनरेगा को कृषि से जोड़ने, पशुओं की खरीद पर रोक लगाने एवं किसान क़र्ज़ माफी की मांग को लेकर सभी किसान संगठनों की दिल्ली में बैठक होगी और एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर एक ज्ञापन देगा। उन्होंने बताया कि 18 जुलाई को किसानों का जंतर-मंतर पर धरना होगा और नौ अगस्त से सभी जिलों में किसान रैलियां निकलेंगी। उन्होंने बताया कि भूमि अधिकार आन्दोलन का एक प्रतिनिधिमंडल सांसदों के साथ सहारनपुर भी जायेगा।