होली पर सबसे लग दिखे राहुल, तेजस्वी और किसान नेता
होली पर सोशल मीडिया में शुभकामनाओं की बारिश जारी है। सबसे अलग रंग में दिखे राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और देश में किसान आंदोलनकारी।
कुमार अनिल
मशाने की होली भी हमारी है और कृष्ण की होली भी। कवियों ने अद्भुत रचनाएं की हैं। होली के रंग इतने भर ही नहीं हैं। सूफी संत बुल्ले शाह ने होली पर जो लिखा है, वह भी हमारा है और क्या लाजवाब लिखा है। अमीर खुसरो भी इसी मिट्टी में जीए और उन्होंने भी यहां की हवा, मिट्टी, प्रकृति और समाज पर न भूलने वाली रचनाएं हमें विरासत में दी हैं।
सोचिए, अगर होली में सिर्फ एक ही रंग होता, तो होली कैसी होती, हमारा समाज कैसा होता?
होली पर सबसे अलग रंग में दिखे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव और संयुक्त किसान मोर्चा। रंगों की विविधता ही होली की खूबसूरती है। यही हमारे भारतीय समाज को भी सुंदर बनाता है। इसी से हमारा देश महान है।
राहुल ने ट्विट करके कहा-हमारे देश की विविधताओं के सभी रंगों के त्योहार होली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
तेजस्वी ने होली का मर्म तो वही बताया, लेकिन भिन्न ढंग से। कहा- रंग हो न्याय का,
रंग हो आजादी का
रंग हो अधिकार का
रंग हो नौकरी-रोजगार का
रंग यही हो भारत का, नए विकसित बिहार का
एक ही प्रार्थना, एक ही दुआ
सभी का जीवन खुशहाली के रंग से सदा महकता रहे।
देश में किसान आंदोलन चला रहे नेताओं ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें सूफी संत बुल्ले शाह के शब्द गूंज रहे हैं।
फग्गन फुले खेत ज्युं बण तिन फूल सिंगार ।
हर डाली फुल्ल पत्तियां गल फूलन दे हार ।
होरी खेलन सईआं फग्गन, मेरे नैन झलारीं वग्गण,
औखे ज्युंद्यां दे दिन तग्गन, सीने बान प्रेम दे लग्गण,
होरी हो रही ।
जो कुझ रोज़ अज़ल थीं होई, लिखी कलम ना मेटे कोई,
दुक्खां सूलां दित्ती ढोई, बुल्ल्हा शौह नूं आखो कोई,
आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर का मशहूर-ए-ज़माना कलाम कौन भूल सकता है।
क्यों मो पे रंग की मारी पिचकारी
देखो कुंवर जी दूंगी गारी
जी हां, होली कहां नहीं गाई जाती। मंदिर में, खेत में और दरगाह में भी। आइए, होली को विविधताओं के सम्मान के रंग में रंग दें।