विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में 16 दिन में 12 पुल ध्वस्त हो जाने को बड़ा मुद्दा बनाया। उन्होंने न सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घेरा। जिस दिन पहला पुल गिरा उसी दिन तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार को घेरा। बाद में एक-एक दिन में पांच-पांच पुल गिरने लगे, तो तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेकर घेरा। राज्य सरकार के मंत्री तक निर्माण में किसी खामी को स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। उल्टा तेजस्वी यादव पर ही आरोप लगाने की कोशिश हुई कि 17 महीने का उनका कार्यकाल ही जिम्मेदार है। लेकिन इससे नीतीश कुमार बच नहीं सकते थे और अब हार कर राज्य सरकार ने शुक्रवार को 11 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया है। पुलों के गिरने की जांच के आदेश दिए गए हैं।
तेजस्वी यादव के दबाव का असर दिखने लगा है। जल संसाधन विभाग के 11 इंजीनियरों को सस्पेंड किया गया है। इसके साथ ही जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने कहा कि 30 वर्ष पुराने सभी पुलों का ऑडिट करने का आदेश दिया गया है। सारण और सीवान में दो दिनों में छह पुल गिरने से सरकार की भारी फजीहत के बाद सरकार को कमद उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
विभाग ने नहरों की उड़ाही करने वाले ठेकेदारों को भी दोषी माना है। माना जा रहा है कि नहरों से गाद निकालने के दौरान पुलों के पाए की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया।
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इधर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को घेरते हुए कहा कि बिहार में डबल इंजन का अद्भुत खेल है, एक इंजन भ्रष्टाचार में लगा हुआ है और एक इंजन अपराध में लगा हुआ है। दिन में पुलों का गिरना कोई सामान्य घटना नहीं है। यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है। जिस दिन से नीतीश कुमार सीएम बने हैं, सिर्फ 18 महीने को छोड़ दें तो पूरे समय ग्रामीण कार्य विभाग जेडीयू के पास ही रहा है। बिहार में लगातार भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है, बिहार में लगातार अपराध की घटनाएं हो रही हैं। जिन लोगों ने बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई बढ़ाई, जिन लोगों के कार्यकाल में पुल टूटा, उन्हें हम सत्ता में वापस नहीं आने देंगे।
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