बिहार की धड़कन माने जाने वाले राजेंद्र पुल की खस्ताहाली के कारण बड़े वाहनों का परिचालन बंद है, जरूरी चीजों की कीमतें आसमान पर हैं इससे रेल प्रशासन पर गुस्साये लोगों ने मंगलवार को पुल जाम कर दिया.
महफूज रशीद, बेगूसराय से
प्रथम पंचवर्षीय योजना से निर्मित राजेन्द्र पुल सुविधा की जगह लोगों की परेशानी का सबब बन गया है । पिछले पांच महीने से बिहार के दो भागों को जोडने बाले इस पुल पर बड़े वाहनो के आवागमन वाधित रहने से मंहगाई आसमान छू रहा है । बाबजूद रेल प्रशासन को इसकी थोडी भी चितां नही है । रेल प्रशासन के लगातार आश्वासन के बाबजूद राजेन्द्र पुल की मरम्मत नही होने से नाराज लोगो ने आज राजेन्द्र पुल के समीप चकिया हाल्टॅ पर रेल और सडक दोनों को जाम कर दिया।
मानव कल्याणकारी समिति के तत्वाधान मे आयोजित इस बंद से कई महत्वपुर्ण ट्रेनो का आवागमन धंटे बंद रहा जिससे लोगो को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा ।
1959 मे बने सड़क सह रेल पुल पिछले पांच बर्षों से भगवान भरोसे चल रहा है । किसी बडी धटना का गवाह बनने से पुर्व पिछले पांच महीने से इस पुल पर बड़े वाहनों का आवागमन बाधित है । उतर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले एक मात्र इस पुल पर बड़े वाहनो के आवागमन के बाधित रहने से आम जन जीवन पर इसका बुरा असर पड़ रहा है । इसके बंद रहने से किसी तरह लंबी दुरी तय कर पहुंचने वाला समान कई गुणा दामों मे खरीदना लोगो की मजबुरी है ।
मंहगाई की इस मार से न सिर्फ बेगूसराय बल्कि कई जिलो पर इसका असर है । लंबी लडाई के बाबजूद इस रेल प्रशासन ने डीएम की अध्यक्षता मे 5 फरवरी को लिखित आश्वासन देने की बात कही थी , पर पांच फरवरी को रेल का कोई अधिकारी इस बैठक मे भाग लेने नही आया । इससे नराज आज सैकड़ों की संख्या मे लोगों ने रेल और सड़क पुल को घोंटो बाधित कर दिया ।
गोपाल कुमार -मानव कल्याण समिति के अध्यक्ष
आज के इस आंदोलन मे सर्वदलीय नेताओ के अलावे भारी संख्या मे लोगो ने भाग लिया । भारी फजीहत के बाद कई धंटे के बाद रेल प्रशासन की नीदं टूटी तो वरीय अधिकारियो ने आंदोलनकारियो से संपर्क साधा और एक बार फिर बात आश्वासन पर जाकर खत्म हो गई । लोगों को आरोप है की रेल प्रशासन इस पुल को समाप्त कर देना चाहती है ।
नारायण सिंह – आंदोलनकारी
ऐतिहासिक इस पुल को एक बार फिर से स्थापित करने के लिए लोगो का आंदोलन का परिणाम चाहे जो कुछ भी हो पर लगातार हो रहे इस आंदोलन से आम लोगो को काफी पेरषानी हो रही है । लंबी दुरी की यात्रा तय करने वाले लोगो को आज के इस आंदोलन से काफी परेषानी का सामना करना पडा । गंगा नदी पर तकरीबन दो किलो मीटर लंबे सडक सह रेल पुल इस पुल का स्थापना का श्रेय प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और श्रीकृष्ण सिंह को जाता है ।