पिछले 14 सालों में गुजरात सरकार ने आईएएस रंजीत बनर्जी को कोई प्रोमोशन नहीं दिया और अब जब वह 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं उन्हें प्रधान सिचव बनाया गया है.

रंजीत बनर्जी: अवहेलना के शिकार
रंजीत बनर्जी: अवहेलना के शिकार

रंजीत बनर्जी 1979 बैच के गुजरात के कैडर के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं लेकिन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की गुडबुक का हिस्सा नहीं होने के कारण वह न सिर्फ पिछले दो दशक से नजरअंदाज किये जाते रहे बल्कि ऐसे पद पर रखे गये जहां कोई काम न हो.

बनर्जी सरकार की अवहेलना से तंग आ कर कई बार रिटायरमेंट लेने को बेताब हो गये पर कई तकनीकी कारणों से वह ऐसा न कर सके. ध्यान रहे कि गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2001 में गद्दी संभीलने के बाद से अब तक 18 आईएएस अधिकारी नौकरी छोड़ चुके हैं.

बनर्जी के करीब काम करने वाले एक अधिकारी ने बताया कि बनर्जी जैसे योग्य अधिकारी का सरकार ने कभी समुचित उपयोग नहीं किया. मालूम हो कि बनर्जी आप्दा प्रबंधन प्राधिकरण में आने से पहले अंतरराष्ट्रीय मोनेट्री फंड जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों में अपनी सेवा दे चुके हैं.

बनर्जी मुख्यमंत्री की गुडबुक में कभी नहीं रहे और यही कारण है कि उनके बैच के आईएएस अधिकारी के कैलाश नाथन आज मुख्यमंत्री के मुख्यसचिव के पद पर आसीन हैं. कई आईएएस अधिकारी तो ऐसे हैं जो बनर्जी से दस साल जुनियर होते हुए भी उनसे पहले प्रोमोशन पा गये.

रंजीत के प्रोमोशन के साथ ही गुजरात सरकार ने गुजरात कैडर के अन्य तीन आईएएस अधिकारियों का भी प्रधान सचिव के पद पर प्रोमोट कर दिया है. इनमें पंकज जोशी1989 बैच के आईएएस हैं और फिलहाल संयुक्त सचिव, समाजकि न्याय एंव अधिकारिता मंत्रालय, नयी दिल्ली में पोस्टेड हैं.

जबकि श्रीनिवास काटिकीथाला भी 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और गुजरात सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग में सचिव हैं.

By Editor


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