1990 से पहले यादवों के सबसे बड़े नेता के बारे में क्या बोले नीतीश
1990 से पहले बिहार में यादवों के सबसे बड़े नेता निर्विवाद रूप रामलखन सिंह यादव ही थे। मुख्यमंत्री नीतीश ने की बड़ी घोषणा। अखबारों ने कम महत्व दिया।
आज के युवा भले ही रामलखन सिंह यादव को नहीं जानते हों, पर 45-50 से ऊपर का हर व्यक्ति उनके बारे में जानता है। तब रामलखन सिंह यादव बिहार के यादवों के सबसे बड़े नेता थे। उस समय बिहार और झारखंड एक ही था। उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्हें शेर-ए-बिहार कहा जाता था। उनका प्रभाव पूरे बिहार में था। वे प्रदेश के प्रमुख स्वतंत्रता आंदोलन के सिपाहियों में एक थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार की शाम एक कार्यक्रम में बड़ी घोषणा की। कहा कि अब हर साल उनकी जयंती राजकीय समारोह के रूप में मनाई जाएगी। पता नहीं क्यों इस महत्वपूर्ण खबर को अखबारों ने जरूरी तवज्जे नहीं दी।
खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्यक्रम में अपनी घोषणा को सोशल मीडिया में जारी कहा। कहा- पटना में रामलखन सिंह यादव स्मृति समारोह में शामिल हुआ और स्व० रामलखन सिंह यादव जी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग लिया था। वे केंद्र और राज्य सरकार में मंत्री रहे थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया। कई स्कूलों और कॉलेजों का निर्माण कराया। अब प्रत्येक वर्ष 9 मार्च को स्व० रामलखन सिंह यादव जी की जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाया जाएगा। पटना में रामलखन सिंह यादव कॉलेज परिसर में उनकी प्रतिमा लगाई जाएगी ताकि रामलखन बाबू को लोग हमेशा याद रखें और नई पीढ़ी उनके कार्यों से प्रेरणा ले सके।
रामलखन सिंह यादव को सिर्फ बिहार के यादवों के सबसे बड़े नेता के रूप में याद करना उनके साथ अन्याय होगा। वे स्वतंत्रता सेनानी थी। कांग्रेस के बड़े नेता थे। केंद्र में मंत्री रहे। हमेशा किसी न किसी महत्वपूर्ण पद पर रहे। उनका एक और भी योगदान है। वह है, जब बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलेज कम थे, उस समय उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में कॉलेज खोले। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बताया कि किस प्रकार उन्होंने बख्तियारपुर में कॉलेज खोला। रामलखन सिंह यादव का प्रभाव वैसे तो पूरे बिहार में था, पर ज्यादा प्रभाव मगध, मुंगेर का इलाका और भोजपुर क्षेत्र में था।
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