2024 लोस चुनाव में जातीय जनगणना होगी बड़ा मुद्दा : ललन सिंह
जातीय जनगणना पर खड़गे के बाद भूपेश बघेल ने पीएम को लिखी चिट्ठी। ललन सिंह बोले उनके 11 सांसदों की कास्ट सेंसस की मांग को अमित शाह ने किया था खारिज।
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दो दिन पहले राहुल गांधी ने कर्नाटक की सभा में जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत को खत्म करने की मांग की थी। उसके बाद से यह मुद्दा गरमा गया हैै। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर जिसकी जितनी आबादी, उसको उतना हक के समर्थन में पत्र लिखा। फिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। और अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भाजपा को पिछड़ा विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि जदयू के 11 सांसदों ने गृहमंत्री अमित शाह से मिल कर जातीय जनगणना कराने की मांग की थी, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था। ललन सिंह ने कहा कि भाजपा को 2024 लोकसभा चुनाव में जवाब देना होगा।
ललन सिंह ने कहा- राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा जाति आधारित जनगणना का समर्थन सामाजिक न्याय की दिशा में एक सकारात्मक और निर्णायक कदम है। हम इसका तहे दिल से स्वागत करते है। उन्होंने कहा कि जनता दल (यू) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्षों से देशभर में जाति आधारित जनगणना कराए जाने के पक्ष प्रयासरत रहे हैं और इसी पहल को साकार करने के लिए हमारी पार्टी के 11 सांसदों का प्रतिनिधि मण्डल देश के गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर जातिगत जनगणना करवाने की मांग रखी थी लेकिन उनके द्वारा हमारी मांगों को सीधे तौर पर खारिज कर दिया गया।
इसके बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य कोष से बिहार में जातीय गणना कराने का ऐतिहासिक कदम उठाया जिसमें दुर्भावना से ग्रसित भाजपा जानबूझकर अड़ंगे लगाती रही परन्तु मुख्यमंत्री के निश्चय के सामने भाजपा को आखिरकार झुकना पड़ा। पूरे बिहार में जातीय गणना की शुरुआत हो चुकी है। ललन सिंह ने आगे कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में संचालित कई लोक-कल्याणकारी योजनाओं से प्रेरती होकर उसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का काम किया है। उसी प्रकार आज जनहित और देशहित में सभी की मांग है कि जाति आधारित जनगणना पूरे देश में कराई जाए ताकि समाज के दलित, पिछड़े, कमजोर, शोषित वर्गो और ऊंची जाति के लोगों को उनकी आबादी के अनुपात उन्हें उचित हक व सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
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