2024 में BJP की राह मुश्किल हुई, राष्ट्रीय राजनीति पर होगा असर
बिहार अकेले 2024 में भाजपा की राह कठिन कर सकता है। बंगाल में भी मुश्किल हालात। बिहार में नए गठबंधन से देश में भाजपा विरोधी दलों के हौसले बढ़े।
केंद्र में भाजपा के नेतृत्वाली सरकार बनाने में बिहार की बड़ी भूमिका है। थोड़ी देर पहले तक बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 39 उनके साथ थी। जदयू के अलग होते ही 39 की जगह 23 सीटें रह गई हैं। जदयू के 16 सासंद हैं। बिहार में जो नया गठबंधन बना है, उसमें राजद, जदयू, कांग्रेस, हम और वाम दल हैं। चुनावी दृष्टि से यह गठजोड़ इतना भारी है कि भाजपा के लिए अपनी 17 सीटें बचाना भारी पड़ सकता है। कई तो अभी से कह रहे हैं कि भाजपा को 2024 में बिहार से बड़ा झटका लगनेवाला है। उन्हें दहाई अंक छूना मुश्किल हो जाएगा।
बिहार के साथ बंगाल को भी जोड़ दें, तो ये दो प्रदेश ही भाजपा को परेशान करने के लिए काफी हैं। बंगाल में भाजपा की अपनी 18 सीटें हैं। तब राष्ट्रवाद का जोर था, आज महंगाई की मार है। बंगाल में ममता बनर्जी की ताकत बढ़ी है और वहां भाजपा के लिए खाता खोलना भी जीत मानी जाएगी। इन दो प्रदेशों से ही भाजपा की 57 सीटों पर कतरा है। बिहार में 39 और बंगाल में 18। आज भाजपा के पास लोकसभा में 303 सीटें हैं. अब आप हिसाब लगा लीजिए कि बिहार और बंगाल ही कितना परेशान करनेवाले हैं।
बिहार में नए गठबंधन ने देश भर के भाजपा विरोधी क्षेत्रीय दलों के हौसले बढ़ा दिए हैं। नौकरशाही डॉट कॉम को झारखंड के कई पाठकों के फोन आए। वे बता रहे हैं कि बिहार की घटना से किस प्रकार झामुमो और कांग्रेस सरकार को ताकत मिली है। मालूम हो कि वहां भी हेमंत सरकार पर भाजपा का दबाव था। खुद हेमंत सोरेन भाजपा पर आरोप लगा चुके हैं कि उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है। कई विधायकों को खरीदने की कोशिश हुई।
आज जो कुछ बिहार में हुआ, वह नेशनल मीडिया में तो है ही, अनेक राज्यों की मीडिया में भी छाया है। बिहार ने जिस दौर में भाजपा के खिलाफ जाने का रास्ता चुना, उसे साहस भरा कमद माना जा रहा है। इससे भाजपा विरोधी दलों में उम्मीद बढ़ी है, कि वे एकजुट हुए, तो 2024 में देश की राजनीति बदल सकती है।
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