प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में तेजी से विकास के लिए प्रशासनिक व्यवस्था, कानूनों एवं प्रक्रियाओं में व्यापक बदलाव की जरूरत बताते हुये कहा कि 19वीं सदी की प्रशासनिक प्रणाली के बल पर हम 21वीं सदी की चुनौतियों से नहीं निपट सकते। श्री मोदी ने नीति आयोग की व्याख्यान माला ‘ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ की शुरूआत के मौके पर नई दिल्ली में कहा कि कोई भी देश अलग-थलग रह कर विकास नहीं कर सकता है क्योंकि सभी देश एक-दूसरे से जुड़े और एक दूसरे पर निर्भर हैं। प्रत्येक देश के अपने संसाधन, अनुभव और क्षमतायें होती है।
‘ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ की शुरूआत के मौके पर पीएम ने कहा
प्रधानमंत्री ने घरेलू और बाहरी कारकों के लिए बदलाव को आवश्यक बताते हुये कहा कि प्रत्येक देश के पास अपने अनुभव, संसाधन और क्षमतायें हैं। अब से 30 वर्ष पहले कोई देश अपने आप में समाधान निकाल सकता था लेकिन आज हर देश एक दूसरे पर निर्भर और जुड़े हुये हैं। ऐसी स्थित में कोई भी देश अलग-थलग रह कर विकास नहीं कर सकता है। प्रत्येक देश को अपनी गतिविधियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना होगा नहीं तो वह पिछड़ जायेगा। उन्होंने कहा कि यदि भारत परिवर्तन की चुनौती को पूरा नहीं करता है तो जो विकास हो रहा है, वह पर्याप्त नहीं होगा। कायापलट की जरूरत है इसलिए भारत को लेकर उनका दृष्टिकोण त्वरित व्यापक बदलाव का है। उन्होंने कहा कि भारत में कायापलट प्रशासन में व्यापक बदलाव के बगैर नहीं हो सकता है। प्रशासन का कायापलट सोच में बदलाव लाये बगैर नहीं हो सकता है और परिवर्तनकारी विचारों के बगैर सोच में बदलाव नहीं आयेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आमतौर पर अचानक संकट की स्थिति में प्रशासनिक सोच में बदलाव आते हैं। सौभाग्य से भारत एक लोकतांत्रिक प्रशासन वाला देश है। उन्होंने कहा कि एक ऐसा समय था जब यह समझा जाता था कि विकास पूँजी और श्रम पर निर्भर है लेकिन आज यह संस्थानों की गुणवत्ता और विचारों पर निर्भर करता है।