21 दिन में कोरोना पर जीत के दावे जैसा 18+ का टीकाकरण!
प्रधानमंत्री ने पिछले साल लॉकडाउन की घोषणा करते हुए कहा था कि 21 दिन में कोरोना पर जीत हासिल करेंगे। अब 18+ के टीकाकरण का भी वही हश्र होता दिख रहा है!
कुमार अनिल
एक मई से 18-44 वर्ष के लोगों का टीकाकरण शुरू होना है, लेकिन हालत सिर मुड़ाते ओले पड़ने जैसी है। 28 अप्रैल को जब रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ, तो साइट ही क्रैश हो गई। जिससे पूछिए, उसे ही शिकायत है। कोई कह रहा, रजिस्ट्रेशन तो हो गया, पर तारीख नहीं मिली। किसी को सेंटर नहीं मिल रहा।
अब कई राज्य सरकारों ने कह दिया कि उनके राज्य में एक मई से 18 प्लस वालों को टीका देने का कार्य शुरू नहीं होगा। बिहार और छत्तीसगढ़ ने सीरम से टीके के डोज की मांग की, लेकिन सीरम ने कह दिया कि इतने टीके देना संभव नहीं है।
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अमेरिका में भी यह समस्या आई थी, पर राष्ट्रपति बाइडेन ने टीका कंपनियों को सारी सुविधा दी। टीके के कच्चे माल को दूसरे देशों में भेजने पर रोक तक लगाई और उसके बाद बड़ी करोड़ों की संख्या में टीके का उत्पादन हुआ और लोगों को दिया जा सका।
बुधवार को बिहार में 87,348 लोगों को टीका दिया गया। इनमें 56,369 लोगों को पहला डोज और 30979 लोगों को दूसरा डोज दिया गया। राज्य में बुधवार तक 69 लाख 55 हजार लोगों को टीका दिया गया था। बड़ा सवाल यह है कि बिहार की आधी आबादी के टीकरण में इस रफ्तार से कितने साल लगेंगे?
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उधर, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने 18 वर्ष से अधिक के लोगों को टीकाकरण की सफलता पर सवाल उठाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में कहा-वैक्सीन की कमी से यह अभियान सफल नहीं हो सकता। इस तरह इस अभियान का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा।
बघेल ने प्रदानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सीरम और भारत बायोटेक दोनों को पास 25-25 लाख डोज का आर्डर दिया, ताकि 18-44 वर्ष के 1.3 करोड़ लोगों को टीका दिया जा सके। भारत बायोटेक ने जवाब दिया कि वह जुलाई से पहले टीके नहीं दे सकता। इसका मतलब है कि 2.6 करोड़ डोज के लिए हमें पूरा एक वर्ष इंतजार करना पड़ेगा।
बिहार और छत्तीसगढ़ की तरह ही अन्य राज्य भी यही परेशानी झेल रहे हैं। एक मई से देश में टीकाकरण की घोषणा से पहले ही इस सवाल का हल खोज लिया जाता, तो आज यह परेशानी नहीं होती। घोषणा केंद्र सरकार ने की, पर लागू तो राज्य सरकारों को करना है।