पुलिस की मनमानी पर रोक और आरोपियों के कानूनी हक की रक्षा के लिए पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर इसकी कापी वेबसाइट पर अलपोड करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को बुधवार को यह आदेश दिया है.
हालांकि कोर्ट ने दुर्गम क्षेत्रों में जहां इंटरनेट क्नेक्टिविटी कम रहती है वहां 72 घंटे में एफआईआर की कॉफी अपलोड करने के आदेश दिए हैं.
आतंकवाद व यौन अपराध के मामले में छूट
कोर्ट ने आतंकवाद, उग्रवाद और यौन अपराधों से जुड़े मामलों में छूट देते हुए कहा कि ऐसे मामलो में एफआईआऱ अपलोड करने की जरुरत नहीं है।
इस मामले में याचिका उत्तराखंड के यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से दायर किया गया था.
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि एफआईआर एक पब्लिक डॉक्यूमेंट है लोकिन इसकी कॉपी पुलिस के पास से हासिल करना आम आदमी के लिए आसान नहीं है। अगर एफआईआर की कॉपी को वेबसाइट्स पर डाल दिया जाएगा तो यह जनहित में होगा।