नारा तो आपने सुना ही होगा – 27 साल – युपी बेहाल। जी हाँ, ये उत्तर प्रदेश काँग्रेस का नारा है। उत्तर प्रदेश में काँग्रेस का इलेक्शन स्लोगन। इसी स्लोगन के सहारे कांग्रेस श्रीमती शिला दिक्षित को 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।
काशिफ यूनुस
जब आप उत्तर प्रदेश के पिछले 27 सालों के राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन को ग़ौर से देखेंगे तो आपको बहुत आसानी से दिख जाएगा केि यहां पिछड़ो और दलितों का स्पष्ट राजनितिक , सामाजिक और आर्थिक उत्थान पिछले २27 सालों में हुआ है। तो क्या कांग्रेस ये कहना चाहती है के पिछले २27 सालों में उत्तर प्रदेश के बदहाल पिछड़े और दलित समाज का सत्ता में आना और अपना हक़ पाना ग़लत था। ऐसा नहीं होना चाहिए था? क्या कांग्रेस फिर से पिछड़ों को चरवाहा और दलितों को टट्टी उठाने के काम पर लगा देना चाहती है?
क्या कांग्रेस 2017 में ऐसे उत्तर प्रदेश की कल्पना कर रही है जिसमें कोई कांशी राम का नाम नहीं लेगा? जिस उत्तर प्रदेश में आंबेडकर, कांशी राम और मायावती की बड़ी बड़ी मूर्तियाँ नहीं होंगी। क्या 2017 का कांग्रेसी उत्तर प्रदेश ऐसा उत्तर प्रदेश होगा जिसमे बड़े बड़े ब्राह्मण नेता बहन मायावती के पैर छूते हुए नज़र नहीं आएंगे ? क्या 2017 के कांग्रेसी उत्तर प्रदेश में यादव समाज के लोग चुनावों में सिर्फ लठैत का काम करेंगे और मुसलमान और दलित समाज वोट बैंक का ?
क्या 2017 में कांग्रेस उत्तर प्रदेश के पिछड़े , दलित और मुस्लिम सम्माज का वही हाल कर देगी जो आज से 27 साल पहले के कांग्रेसी राज – काज में हुआ करता था ?
कांग्रेस ये भूल रही है कि अगर बहुजन समाज को इसका एहसास भी हो गया तो वो कांग्रेस का वो हाल कर देंगे जिसकी कांग्रेसियों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
बेहतर है के कांग्रेसी इस आत्मघाती नारे को जल्दी ही वापिस ले लें क्योंके अगर बहुजन समाज इस नारे की गहराई में चला गया तो कांग्रेस का हाल उत्तर प्रदेश की असेंबली में वही हो जाएगा जो आज दिल्ली की असेंबली में है।