डेढ़ वर्ष के छोटे से राजनीतिक जीवन में मीडिया तेज प्रताप को विवादों और सुर्खियों से आगे नहीं देख पाया. लेकिन आज जब वह 28वां जन्मदिन मना रहे हैं तो आइए जानते हैं कि तेज ने कैसे सांगठनिक क्षमता के बूते दो संगठनों की जड़ें गांव-गांव तक फैलाने में लगे हैं.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
2015 में मंत्रिपद की शपथ लेने के दौरान ही तेज प्रताप यादव आलोचना के शिकार बन गये थे. तब राज्यपाल ने उन्हें दोबारा शपथ पत्र पढ़ने को कहा था. इसके बाद वह लगातार या तो सुर्खियों में रहे या विवादों में. आइए उनसे जुड़े कुछ विवादों को याद करते हैं. तेज प्रताप को मीडिया ने सबसे पहले फोटो से जुड़े विवाद में घसीटा. मामला था मोहम्मद कैफ नामक युवक के साथ उनकी तस्वीर का सोशल मीडिया पर वॉयरल होना. मोहम्मद कैफ ने तेज प्रताप को मंत्री बनने पर फोलों का गुलदश्ता भेंट किया था. कैफ की छवि आपराधिक बतायी गयी थी. और इस पर तेज प्रताप पर खूब हमला बोला गया. तज ने सफाई दी थी कि सार्वजनिक जीवन में कोई भी मिल जाये और तस्वीर खिचवा ले तो इसका मतलब यह नहीं कि वह हमारा साथी है. इसके बाद एक दूसरा विवाद फिर सोशल मीडिया में शुरू हुआ जब तेज प्रताप एक सार्वजनिक स्वीमिंग पूल में दोस्तों के साथ नहा रहे थे. मीडिया के एक हिस्से ने इस तस्वीर पर हाय-तौबा मचाते हुए लिखा कि बिहार हिंसा और हत्या से त्रस्त है और मंत्री मस्ती कर रहे हैं.
मीडिया द्वारा जबरन विवाद खड़ा करने की इस कोशिश को तेज प्रताप समझ पाते कि उनसे जुड़ा तीसरा विवाद एक कार्यक्रम के दौरान सामने आ गया. किसी फोटोग्राफर ने उस कार्यक्रम की तस्वीर उतारी तो तेज बमक गये और उस पत्रकार को धमकाया भी. निश्चित तौर पर पत्रकार को धमकाने की आलोचना वाजिब थी. और उनकी आलोचना हुई भी. लेकिन वाटर पार्क में नहाना या किसी व्यक्ति द्वारा उन्हें गुलदश्ता भेंट करने की तस्वीर को विवादों से जोड़ना भी मीडिया के एक हिस्से की मानसिकता ही दर्शाता है. इन विवादों की कड़ी में ताजा विवाद जमीन और प्राइवेट कम्पनी से जुड़ी उनकी मिलकियत को ले कर सामने आया है. डिलाइट मार्केटिंग या लारा प्रजेक्ट्स में उनके शेयर पर सुशील मोदी ने विवाद खड़ा किया है. जबकि लालू प्रसाद का कहना है कि उनकी जायदाद की पूरी जानकारी सार्वजनिक है और तेज प्रताप ने कानूनी प्रावधानों के तहत सारा लेन-देन किया है. इस विवाद के बीच तेज प्रताप अपना जन्मदिन मना रहे हैं. इस विवाद पर हालांकि सुशील मोदी आरोप पर आरोप मढ़ रहे हैं पर राजद का कहना है कि इसकी किसी भी तरह की जांच करायी जा सकती है.
इन सब विवादों के अलावा तेज प्रताप का निजी जीवन कुछ ऐसा है कि वह अक्सर सुर्खियों में आ जाते हैं. कभी गायों के बीच कृष्ण रूप धारण कर बांसुरी बजाना, कभी जलेबी छानते हुई तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट करना तो कभी आध्यात्मिक भ्रमण के लिए निकल जाना तो कभी संख बजाना. इन सब कारणों से तेज प्रताप की मीडिया में अलग छवि बनती चली गयी. हालांकि कई बार तेज प्रताप ने बहैसियत मंत्री के अस्पतालों में औचक नीरक्षण करके, तो कभी अपने विधानसभा क्षेत्र में अगलगी के पीड़ितों को तत्क्षण मदद करके तो कभी अपने क्षेत्र के लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए शिकायत पेटी चौराहों पर लगा के भी सुर्खियों में रहे हैं.
दूसरा पक्ष-
लेकिन तेज प्रताप को ले कर जिन दो महत्वपूर्ण मामलों में ज्यादा चर्चा नहीं हुई वह है उनकी सांगठनिक क्षमता के बारे में. स्वास्थ्य मंत्री के अलावा तेज प्रताप दो संगठनों के संरक्षक हैं. इन में एक है छात्र राजद तो दूसरा है डीएसएस यानी धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ. तेज व्यक्तिगत रूप से आजाद पसंद हैं. उन्हें कार्य और व्यवहार में हस्तक्षेप नहीं भाता. लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि सार्वजनिक जीवन में नियंत्रण और संतुलन जरूरी है. लिहाजा तेज प्रताप को उनके पिता लालू प्रसाद अकसर राजनीति की बारीकियां सिखाते हैं तो उधर राबड़ी देवी भी उन्हें ऐसे ही सबक देती रहती हैं.
छात्र राजद को युनिवर्सिटी से निकाल कर प्रखंडों तक पहुंचाा
इन सब बातों के बावजूद तेज प्रताप ने छात्र राजद को सांगठनिक रूप से काफी सक्रिये बना डाला है. छात्र राजद की बैठक वह खुद लेते हैं. हालात यह है कि छात्र राजद को उन्होंने युनिवर्सिटियों के कैम्पस से निकाल कर प्रखंड के कालेजों और यहां तक की इंटर कालेजों तक पहुंचा दिया है. छात्र राजद की मीटिंगों में राज्य भर के दो हजार से ज्यादा कार्यकर्ता जुटते हैं. तेज उन्हें खुद ही टास्क देते हैं और समयबद्ध रूप से उस टास्क के पूरे होने तक उसको मॉनिटर करते हैं. भले ही राष्ट्रीय जनता दल संगठन के स्तर पर जितना भी मजबूत हो पर हकीकत यह रही है कि छात्र राजद का वजूद बयानबाजियों तक ही सीमित रहा है, लेकिन तेज प्रताप ने जब से इसके संरक्षक का पद संभाला है, छात्र राजद की सक्रियता इतनी बढ़ गयी है जितनी पहले कभी नहीं देखी गयी.
आरएसएस के जवाब में डीएसएस
तेज प्रताप यादव के संरक्षण में एक अन्य सामाजिक संगठन है धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ यानी डीएसएस. डीएसएस लालू प्रसाद की सामाजिक दृष्टि का प्रतिफल है. यह राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के विचारों के जवाब है. इसके माध्यम से साम्प्रदायिक सौहार्द, आपसी भाईचारा और सामाजिक न्याय की धारा को मजबूत करने का प्रयास किया जाता है. गैर राजनीतिक संगठन के रूप में इस संगठन ने पिछले दो-तीन वर्षों में खुद को काफी मजबूत किया है. दिनों दिन इस संगठन के कार्यकर्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. पिछले दिनों जब मोहन भागवत पटना आये थे तो पहली बार यह संगठन जोरदार चर्चा में आया था. डीएसएस के कार्यकर्ताओं ने भागवत का रास्ता रोका और उन्हें काले झंडे दिखाये. नतीजतन दस कार्यकर्ता गिरफ्तार भी हुए थे.
तेज प्रताप कहते हैं कि आरएसएस की जहरीली मानसिकता का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए डीएसएस का गठन किया गया है. वह कहते हैं कि हम गांव-गांव तक इस संगठन को पहुंचाने में लगे हैं. हमारी कोशिश है कि समाज को तोड़ने और समाज में घृणा फैलाने की आरएसएस की कोशिशों को नाकाम करने में डीएसएस महत्वपूर्ण भूमिका निभाये और इस दिशा में हम मजबूती से काम कर रहे हैं.