देश के विश्वविद्यालयों में 29 सितंबर को ‘सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ मनाये जाने के विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के परिपत्र से विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने जहां इसका विरोध किया है वहीं सरकार ने कहा है कि यह किसी पर बाध्यकारी नहीं है और इसमें मामले में उसकी ओर से कोई राजनीति नहीं की जा रही है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 19 सितंबर को सभी कुलपतियों को परिपत्र भेजकर विश्वविद्यालयों में 29 सितम्बर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मनाने को कहा था।
इसका विरोध करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि यह निर्देश स्तब्ध करने वाला है। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्देश विश्वविद्यालय प्रणाली की स्वतंत्रता खत्म कर रहे हैं। कांग्रेस नेता कटाक्ष किया कि आठ नवंबर 2016 को की गयी नोटबंदी गरीब लोगों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ थी और भारतीय जनता पार्टी के लिए उचित ठीक होगा कि वह इसका भी जश्न मनायें, जिससे लोगों की कठिनाईयां बढ़ गयी थी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस के रुप में मनाने के निर्देश दिये हैं। क्या यह छात्रों को शिक्षित करने के लिये है या भाजपा के लक्ष्यों को हासिल करने के लिये है। क्या यूजीसी आठ नवंबर को गरीब लोगों की आजीविका पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को मनाने के निर्देश देने की हिम्मत करेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि कांग्रेस सेना का सम्मान करती है और राष्ट्रीय महत्व के दिनों पर तथा सशस्त्र सेनाओं की वीरता का जश्न मनाया जाना चाहिए।
कांग्रेस के आरोपों पर श्री जावेड़कर ने कहा कि लाखों छात्र और शिक्षण संस्थान यह सुनना चाहते है कि सैनिक देश की रक्षा किस तरह करते हैं और सर्जिकल स्ट्राइक कैसे हुयी थी। यह सेना की गरिमा बढ़ाने और सर्जिकल स्ट्राइक की विशेषता बताने के लिए है। गौरतलब है कि यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को परिपत्र भेजा है जिसमें कॉलेजों को कहा है कि वे पूर्व सैनिकों को बुलाकर छात्रों को बतायें कि किस तरह सेना सीमा की रक्षा करती है।