बिहार में दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होगा, जिसके लिए बुधवार को प्रचार थम गया। दूसरे चरण में पांच सीटों पर मत डाले जाएंगे। ये पांच सीटें हैं किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका। इन पांचों सीटों पर इंडिया गठबंधन कड़ी टक्कर दे रहा है और एनडीए मुश्किल में है। याद रहे पिछली बार किशनगंज एकमात्र सीट थी, जहां कांग्रेस को जीत मिली थी। शेष 39 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी।

जिन पांच सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें पूर्णिया और किशनगंज को छोड़ दें, तो शेष तीन सीटों पर इंडिया गठबंधन और एनडीए में सीधा मुकाबला है। पांचों सीटों पर जदयू के प्रत्याशी हैं। भाजपा का कोई प्रत्याशी नहीं है। किशनगंज में कांग्रेस के डॉ मोहम्मद जावेद और जदयू के मास्टर मुजाहिद के अलावा एमआईएम के अख्तरुल ईमान में मुकाबला है। कटिहार से तारिक अनवर का सीधा मुकाबला जदयू के दुलालचंद्र गोस्वामी में सीधा मुकाबला है। पूर्णिया में जदयू के संतोष कुशवाहा का मुकाबला निर्दलीय पप्पू यादव और राजद की बीमा भारती से हैं। भागलपुर में कांग्रेस के अजीत शर्मा जदयू के अजय मंडल को टक्कर दे रहे हैं। बांका में जदयू के गिरधारी यादव का मुकाबला जयप्रकाश यादव से है।

पांचों सीटों पर भाजपा प्रत्याशी नहीं होने के कारण सांप्रदायिक मुद्दे कमजोर पड़ गए हैं और जनता के मुद्दों पर चर्चा हो रही है। बेरोजगारी, महंगाई तथा संविधान की रक्षा मुख्य चुनावी मुद्दे बन गए हैं। ये विपक्ष के मुद्दे हैं। जदयू का प्रचार नीतीश कुमार के कार्यों पर है। इसी के साथ जदयू प्रत्याशी प्रधानमंत्री मोदी को सामने रखकर उनकी लोकप्रियता का लाभ उठाना चाहते हैं। लेकिन खुद भाजपा का प्रत्याशी नहीं होने के कारण भाजपा समर्थकों में वह उत्साह नहीं देखा जा रहा है, जो होना चाहिए था।

किशनगंज, कटिहार तथा पूर्णिया में मुस्लिम आबादी निर्णायक है। किशनगंज में सर्वाधिक मुस्लिम हैं और यहां तीनों प्रमुख प्रत्याशी भी मुस्लिम हैं। जो भी प्रत्याशी मुसलमानों के बड़े हिस्से तथा कुछ अन्य वोट हासिल करने में सफल होगा, वह जीतने में कामयाब होगा। कटिहार में तारिक अनवर की अच्छी स्थिति बताई जा रही है। उन्हें मुस्लिम मतों के अलावा प्रगतिशील हिंदू वोट भी मिल सकता है। इसी तरह भागलपुर में भी कोई सांप्रदायिक उभार नहीं देखा जा रहा है। अगर कांग्रेस के अजीत शर्मा सवर्णों के वोट हासिल करने में सफल रहते हैं, तो मुकाबला कांटे का हो सकता है। हालांकि बुलो मंडल के राजद छोड़ कर जदयू में शामिल होने से कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ गई है। बांका में जयप्रकाश यादव को माय समीकरण का वोट मिलेगा, लेकिन उन्हें अतिपिछड़ों का वोट हासिल करना होगा। यहां भी भाजपा प्रत्याशी नहीं होने से उसके कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं है।

त्रिपुरा में कई बूथों पर 100 % से ज्यादा मतदान, दुबारा चुनाव कराने की मांग

कुल मिलाकर पांचों लोकसभा क्षेत्रों में इंडियागठबंधन जोश में दिख रहा है। उधर भाजपा का कोई प्रत्य़ाशी नहीं होने से एनडीए में एकजुटता का अभाव देखा जा रहा है।

पुस्तक समीक्षा : नए दौर की उग्र सांप्रदायिकता और प्रतिरोध की दस्तावेज ‘मोदीकाल में मुसलमान’

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427