नया शराबबंदी कानून बिहार विधान मंडल में पास हो चुका है.ऐसे में इस कानून के 11 महत्वपूर्ण प्रावधान जान लेना बहुत जरूरी है.
- शराब या नशे की हालत में पाए जाने पर सात साल तक की सजा और एक से 10 लाख तक का जुर्माना
- शराब के नशे में अपराध, उपद्रव या हिंसा की तो कम से कम दस वर्ष की सजा, आजीवन कारावास और एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना
3.किसी मकान में मादक द्रव्य या शराब बरामद हुई, उपभोग करते या शराब बनाते पाए गए, बिक्री या वितरण किया तो 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले परिवार के सभी सदस्यों को तब तक जिम्मेवार माना जाएगा जब तक वे अपने आप को निर्दोष साबित न कर दें
4.अवैध तरीके से शराब का भंडारण करने पर आठ से दस वर्ष तक की सजा और दस लाख तक का जुर्माना
5.कोई व्यक्ति, वाहन या परिवहन के अन्य साधनों के माध्यम से इस कानून का उल्लंघन किया तो बिना वारंट के दिन-रात कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन गिरफ्तारी की सूचना डीएम को देनी होगी
6. इस अधिनियम के अधीन सभी अपराध गैर जमानती होंगे
7.जहरीली शराब से मौत होने पर शराब बनाने वाले को मृत्युदंड या आजीवन कारावास और दस लाख तक का जुर्माना।
8.विकलांग होने पर ऐसे शराब बनाने वाले को दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और दो से 10 लाख तक की सजा।
9.सामूहिक जुर्माना : कोई गांव-शहर या विशेष इलाके में समूह या समुदाय बार-बार शराबबंदी कानून का उल्लंघन कर रहा है तो डीएम के आदेश पर उस गांव, शहर या इलाके विशेष के लोगों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। डीएम असंतुष्ट हुए तो सामूहिक जुर्माना।
10.तड़ीपार : कुख्यात या आदतन अपराधी लगातार दंडनीय अपराध कर रहा है या लोगों को प्रेरित कर रहा है तो ऐसे लोगों को वकील के माध्यम से अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। डीएम संतुष्ट नहीं हुए तो ऐसे कुख्यात को जिला, इलाका या उस रास्ते से छह महीने से लेकर दो साल तक तड़ीपार किया जा सकता है।
11.- कोई हानि नहीं होने पर भी नकली शराब बनाने वाले को आठ से दस वर्ष तक की सजा और एक से पांच लाख तक का जुर्माना।
पुलिस या उत्पाद अधिकारियों के लिए
1. कोई पुलिस या उत्पाद पदाधिकारी किसी को परेशान करने के लिए अपने कानूनी शक्तियों के बाहर जाकर तलाशी या गिरफ्तारी की तो उसे तीन साल तक की सजा और एक लाख तक का जुर्माना।
-2.कर्तव्य से मुकरने वाले अधिकारियों को तीन महीने तक की सजा और दस हजार रुपए तक का जुर्माना।
-3.उत्पाद पदाधिकारी अपने इलाके में थाना के प्रभारी पदाधिकारी की शक्तियों का उपयोग इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ कर सकेंगे। गिरफ्तारियों की 24 घंटे में पेशी करनी होगी।
4.छापेमारी कर रहे उत्पाद अधिकारी पर हमला किया, बाधा उत्पन्न की तो आठ वर्ष से दस वर्षों तक की सजा और एक से दस लाख तक का जुर्माना।