3570 किमी लंबी भारत जोड़ो यात्रा को राहुल ने क्यों बताई तपस्या
भारत जोड़ो यात्रा के 31 वें दिन राहुल ने तीसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने यात्रा को तपस्या क्यों कहा? राजस्थान में अडानी के निवेश का क्या जवाब दिया?
राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही लगता है कि भारत में प्रेस जिंदा है। खूब सवाल किए जाते हैं, कड़े से कड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रधानमंत्री तो प्रेस वार्ता करते ही नहीं, भाजपा के बड़े नेता प्रेस वार्ता करते हैं, पर वहां भी कड़े सवाल नहीं पूछे जाते। अगर किसी ने पूछ दिया, तो उल्टा जवाद दिया जाता है। लेकिन राहुल गांधी ने हर तरह के सवालों के जवाब धीरज के साथ दिए।
राहुल से एक पत्रकार ने पूछा कि इतनी लंबी यात्रा पैदल क्यों कर रहे हैं, वाहन से भी कर सकते थे। जवाब में राहुल ने कहा-मैं तपस्या में विश्वास करता हूं, मैं नहीं चाहता था कि यह आसान हो- इसीलिए पैदल चल रहा हूँ। लोगों से मिल कर बात करने से पहले मैं खुद दर्द झेलना चाहता था- जिससे कि मैं उनकी पीड़ा और उनके दर्द को बेहतर समझ सकूँ।
एक महीने की यात्रा कैसी रही प्रश्न के जवाब में राहुल ने कहा-पिछले 31 दिनों में मैंने बहुत कुछ सीखा है- जब आप लोगों के दर्द का अंश मात्र दर्द बर्दाश्त करते हैं, तब आप उनकी समस्या ज़्यादा समझते हैं। वह ज़्यादा खुल कर बात करते हैं और मैं ज़्यादा संवेदना से समझता हूँ।
उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ ने उनकी छवि खराब करने के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए हैं। मगर लोग मेरे बारे में जानते हैं, इसलिए यात्रा में साथ पैदल चल रहे हैं। अडानी की कंपनी को राजस्थान में निवेश की इजाजत पर उन्होंने कहा कि वे मोनोपली के खिलाफ हैं। अगर अडानी के लिए नियमों में छूट दी जाती तो वे अवश्य ही विरोध में खड़े होते, लेकिन सबकुछ नियमों के अनुसार किया गया है।
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