चालीस मिनट तक लिफ्ट में फंसे अमित शाह पर क्या गुजरी ?उन्होंने ये पल कैसे बिताया और लिफ्ट में मौजूद लोगों ने उन्हें कैसे संभाला. सुनिये एक सूत्र की जुबानी पूरी कहानी.
आधी रात होने ही वाली थी. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एक मीटिंग के बाद पटना के स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचे. यहीं प्रथम तल पर उन्हें रात्रि विश्राम करना था. पर किस्मत ने कुछ और लिखा था. नौकरशाही डॉट इन को एक सूत्र ने बताया कि लिफ्ट जब प्रथम तल से एक फिट के फासले पर थी तो फंस गयी. लिफ्ट में शाह के अलावा चार लोग और थे. सांसद भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय महामंत्री सौदान सिंह, बिहार के संगठन मंत्री नागेंद्र जी और शाह के निजी सचिव कृपाल.
धड़कन तेज, उच्च रक्तचाप
लिफ्ट में पहले ही क्षमता से ज्यादा वजन था. बंद लिफ्ट में वेंटिलेशन के अभाव में अमित शाह पसीने-पसीने होते गये. वह काफी तनाव में थे. तनाव के कारण उनके दिल की धड़कन तेज हो गयी. भारी वजन के शाह का शरीर शिथिल पड़ता जा रहा था. इधर देरी की वजह से घबराहट बढ़ती जा रही थी. लिफ्ट में मौजूद एक नेता ने पहले उनके शरीर को शह दिया और उन्हें संभालने की पूरी कोशिश की. लेकिन ज्यादा वजन होने के कारण शाह को लिफ्ट में ही बिठा दिया गया. उन्हें सांसे लेने में काफी परेशानी हो रही थी.
पास मौजूद उनके निजी सचिव कृपाल ने अमित शाह का ढाढस बढ़ाने की पूरी कोशिश में लगे थे. उच्च रक्तचाप के शिकार अमित शाह के लिए ये क्षण काफी तनावपूर्ण थे. इसे कृपाल बखूबी जानते थे. लिफ्ट में मौजूद लोगों की चिंता यह भी थी कि कहीं अमितशाह का रक्तचाप ज्याद न बढ़ जाये. उधर संकट की दूसरी वजह यह भी थी कि लिफ्ट में बंद लोगों का मोबाइल भी आउट ऑफ रेंज बता रहा था.
दूसरी तरफ काफी रात बीत जाने के कारण स्थानीय नेताओं की भीड़ भी छट चुकी थी. बस विधान पार्षद संजय मयुख और अरविंद सिंह कुछ लोगों के साथ इंतजार कर रहे थे. जब लिफ्ट को चलाने के सारे जतन विफल हो गये तो उनके सामने एक ही विकल्प था.
सुरक्षा में लगे अधिकारी ने गाडियों में रखे रॉड को मंगवाया और फिर लिफ्ट के दरवाजे को तोड़ना शुरू किया गया. इस पूरे भाग दौड़ में चालीस मिनट बीत गये. फिर उन्हें सुरक्षित निकाला गया. उन्हें उनके कमरे में पहुंचाया गया. फिर कमरे की एसी के तापमान को कम किया गया ताकि उन्हें जल्द से जल्द ठंड का एहसास हो सके. इस बीच शाह के लिए पानी लाया गया. पानी पीने के बाद उन्होंन चैन की सांस ली.