पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आठ सीटों के लिए मतदान हो चुका है। मतदाताओं के रुख ने भाजपा के होश उड़ा दिए। दूसरे चरण में भी आठ सीटों पर 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इन 16 सीटों में मतदाताओं की भाजपा से नाराजगी अब साफ दिख रही है। अकेले पश्चिमी यूपी ने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार सौ पार नारे की हवा निकाल दी। अब प्रधानमंत्री 400 पार का नारा नहीं दे रहे और सीधे हिंदू-मुसलमान पर आ गए, लेकिन मुश्किल यह है कि इस बार हिंदू मुसलमान भी चल नहीं पाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस जीत गई, तो माताओं-बहनों के मंगलसूत्र छीनकर मुसलमानों को दे देगी। इस खुले सांप्रदायिक भाषण के बावजूद लोगों में कोई उत्तेजना पैदा नहीं हुई।
पहले चरण में जिन आठ सीटों पर मतदान हुए वे हैं सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत शामिल हैं। इनमें मुजफ्फरनगर, कैराना, पीलीभीत तीन भाजपा ने जीती थी। बाकी सीटों पर सपा और बसपा को जीत मिली थी। दूसरे चरण में जिन आठ सीटों पर मतदान होना हैं वे हैं मथुरा, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बागपत, मेरठ, अमरोहा, बुलंदशहर और अलीगढ़।
भाजपा की इन 16 सीटों पर हालत खराब होने की मुख्यतः चार वजहें हैं। पहला किसानों और खासकर जाट किसानों में नाराजगी। वे एमएसपी की मांग कर रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार मोदी सरकार ने किसान आंदोलन को कुचला उसे लोग भूले नहीं हैं। महिला पहलवानों को सड़क पर घसीटा गया। दूसरी वजह है जयंत चौधरी को साथ लाने का फायदा भाजपा को नहीं मिला। भाजपा को उम्मीद थी कि जयंत के कारण जाट वोट उसे मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बल्कि जयंत ही अलग-थलग पड़ गए। फिर रालोद और भाजपा कार्यकर्ताओं में कोई समझदारी नहीं बन पाई। तीसरा कारण है बसपा का अलग से चुनाव लड़ना। इसकी वजह से बसपा का जो दलित वोट भाजपा की तरफ जा सकता था, वह रुक गया। चौथा कारण है मुस्लिम मतदाताओं में इस बार कोई बंटवारा नहीं होना है। मुस्लिम मत पहले सपा और बसपा में बंट जाते थे, लेकिन इस बार एक दो सीटों को छोड़ कर मुस्लिम मतदाता पूरी तरह इंडिया गठबंधन के साथ है।
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इस बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को कन्नौज से नामांकन दाखिल कर दिया। खबर यह भी है कि राहुल गांधी अमेठी से और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी, जिससे उप्र में भाजपा के खिलाफ माहौल बनेगा और इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा।