राज्य में विकास योजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेवारी उपविकास आयुक्त की होती है। केंद्रीय और राज्य सरकार की योजनाओं के बीच समन्वय का जिम्मा, योजनाओं की स्वीकृति और कार्यरूप देने में डीडीसी का दायित्व महत्वपूर्ण होता है। कई स्तरों पर प्रोन्नति के बाद बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डीडीसी के पद पर पहुंचते हैं। पिछले एक मार्च को सामान्य प्रशासन विभाग की सूचना के अनुसार, राज्य के 38 जिलों में से तीन जिलों किशनगंज, सुपौल और कैमूर में डीडीसी का पद रिक्त है, जबकि 8 आइएएस अधिकारी डीडीसी के पद पर स्थापित हैं। शेष 27 जिलों में बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डीडीसी के पद पर नियुक्त हैं।
वीरेंद्र यादव
बिहार प्रशासनिक सेवा के 27 अधिकारियों में से सबके 50 साल से ऊपर के हैं। इनमें सबसे युवा डीडीसी सारण सुनील कुमार हैं, जिनकी उम्र 51 वर्ष है। इसके बाद नवादा के डीडीसी एसएम कैसर और पटना के डीडीसी अमरेंद्र कुमार हैं, जिनकी उम्र 52 वर्ष है। सबसे बुजुर्ग डीडीसी चार जिलों में हैं, जिनकी उम्र 58 पार है। सीतामढ़ी के डीडीसी अब्दुर्र रहमान, शिवहर की डीडीसी इंदु सिंह, सीवान के डीडीसी राजकुमार और मधुबनी के डीडीसी हाकिम प्रसाद की उम्र 58 पार है। सात जिलों में 2012 बैच के आइएएस अधिकारी डीडीसी के पद पर नियुक्त हैं। भोजपुर की डीडीसी इनायत खान, नालंदा के डीडीसी कुंदन कुमार, गया के डीडीसी संजीव कुमार, मुजफ्फरपुर के डीडीसी अरविंद कुमार वर्मा, मोतिहारी के डीडीसी सुनील यादव, बेतिया के डीडीसी राजेश मीणा, भागलपुर के डीडीसी अमित कुमार और कटिहार के डीडीसी मुकेश पांडेय आइएएस अधिकारी हैं।
विकास की रीढ़ माने जाने वाले डीडीसी की उम्र सीमा कम की जा सके तो विकास योजनाओं को अधिक गति मिल सकती है। डीडीसी के पद पर आईएएस के युवा अधिकारियों की नियुक्ति हो तो ज्यादा फायदा बिहार की जनता को मिल सकता है। युवा अधिकारी ज्यादा क्षमता और ईमानदारी से काम कर सकते हैं और वे तकनीकी रूप से ज्यादा व्यावहारिक हो सकते हैं।