नया सचिवालय स्थित सभागार में पूरे बिहार के वाणिज्यकर पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सह वित, वाणिज्यकर मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 50 हजार से अधिक मूल्य के माल के परिवहन के लिए 15 जनवरी से प्रायोगिक तौर पर बिहार सहित पूरे देश में ई-वे बिल की व्यवस्था लागू की जा रही है।

 

पूरे देश में मालों की आवाजाही के लिए पहली फरवरी से ई-वे बिल अनिवार्य होगा। बिहार में ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए 5 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है जिनमें 888 ट्रांसपोर्टर हैं। उन्होंने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी ट्रांसपोटर्स और डीलर को ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए प्रशिक्षित करें।

 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के पहले से बिहार में लागू ‘सुविधा’ का ई-वे बिल की व्यवस्था से सरलीकरण हो गया है। ‘सुविधा’ के अन्तर्गत परिवहन परमिट के लिए पहले जहां फार्म में 26 फिल्ड भरने होते थे वहीं अब मात्र 8 फिल्ड ही भरना होगा। निबंधित कारोबारी और ट्रांसपोटर्स अब कम्प्यूटर के अलावा मोबाइल एप्पलिकेशंस के जरिए भी आसानी से ई-वे बिल जेनरेट कर सकेंगे। वहीं, राज्य के अंदर 10 किमी की दूरी तक माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं है।

 

जीएसटी लागू होने के बाद पहली जुलाई से पूरे देष में चेकपोस्ट की व्यवस्था समाप्त कर दी गई जिसके कारण बड़ी मात्रा में बगैर कर प्रतिवेदित मालों की आवाजाही से राज्यों को राजस्व का नुकसान हो रहा था। इसीलिए 01 अप्रैल से लागू की जाने वाली ई-वे बिल की व्यवस्था को दो महीना पहले पहली फरवरी से पूरे देश में लागू की जा रही है। 01 फरवरी से ई-वे बिल के बिना मालों के परिवहन को करवंचना के तौर पर देखा जायेगा और उसे जब्त किया जा सकता है।

By Editor


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