उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक से आज यह जानना चाहा कि क्या 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बदलने के लिए एक अवसर दिया जा सकता है? मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा कि अपना नोट न बदल पाने के संदर्भ में उचित कारण देने वालों को क्या एक और मौका दिया जा सकता है?
न्यायालय ने इस बाबत दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश देते हुए कहा कि आपने (केंद्र ने) ऐसे लोगों को एक मौका उपलब्ध कराने का वादा किया था। आप अपनी जुबान से पीछे नहीं हट सकते। केंद्र सरकार ने इस बाबत सुनवाई की अगली तारीख 18 जुलाई तक जवाबी हलफनामा दायर करने की बात कहीं। न्यायमूर्ति केहर ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि कोई व्यक्ति यह साबित कर देता है कि उसे 31 दिसम्बर तक अपने पैसे बदलने में वास्तविक समस्या थी, तो उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आप (केंद्र) उचित तरीके से की गयी किसी व्यक्ति की कमाई को यों ही बेकार नहीं जाने दे सकते। इस पर सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार अलग-अलग मामलों के संदर्भ में विचार करने को तैयार है, लेकिन न्यायालय को हर किसी को नोट बदलने का मौका उपलब्ध कराने के लिए निर्देश नहीं देना चाहिए। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष आठ नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा की थी और लोगों को 31 दिसम्बर तक नोट बदलने का मौका दिया था।