2025 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में पांच लाख खाली पदों को भरने की कवायद शुरू हो गई है। नीतीश सरकार ने विभिन्न विभागों में खाली पदों की जानकारी मांगी थी। अब सामान्य प्रशासन विभाग ने सरकार को सारी जानकारी दे दी है। राज्य में लगभग पांच लाख पद खाली हैं। जल्द ही सरकार इन पदों को भरने के लिए पहल करेगी।
सामान्य प्रशासन विभाग ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबित राज्य के विभिन्न विभागों में चार लाख, 76 हजार, 976 पद रिक्त हैं। सबसे ज्यादा खाली पद शिक्षा विभाग में हैं। शिक्षा विभाग में दो लाख से ज्यादा पद खाली हैं। इनमें शिक्षकों के अलावा अन्य पद भी शामिल हैं। दूसरे नंबर पर स्वास्थ्य विभाग है। इस विभाग में 65 हजार पद रिक्त हैं। इसके अलावा गृह, ऊर्जा, ग्रामीण विकास, राजस्व एवं भूमि सुधार, श्रम संसाधन सहित राज्य सरकार के 45 विभागों में हजारों की संख्या में पद खाली हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह चुके हैं कि दस लाख नौकरियां दी जाएंगी। इसके अलावा दस लाख रोजगार के अवरस सृजित किए जाएंगे। नीतीश सरकार का इरादा है कि विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की जाएं। याद रहे विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नौकरी और रोजगार को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था, जिससे पूरा एनडीए खेमा डिफेंसिव बना रहा। अब बड़े पैमाने पर नियुक्तियां करके एनडीए सरकार विपक्ष के इस मुद्दे को छीन लेना चाहती है। इसीलिए अगले कुछ महीनों में हर विभाग में वैकेंसी निकले, तो कोई आश्चर्य नहीं।
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एनडीए को पता है कि डबल इंजन की सरकार के बावजूद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा शायद नहीं मिले। विशेष पैकेज भी कुछ खास नहीं मिलेगा। इसीलिए बंद चीनी मिलों को खोलने तथा उद्योग-धंधों का विकास संभव नहीं है। इस स्थिति में अगर पांच लाख नौकरियां दी जाती हैं, तो एनडीए के पास कहने को रहेगा कि उसने वादा पूरा किया।
इधर विपक्षी दल खासकर राजद ने विशेष राज्य का दर्जा तथा राज्य में बढ़ते अपराध को मुद्दा बनाना शुरू किया है।