छह और सात जून जनता परिवार के लिए कयामत का दिन साबित हो सकता है. इस दिन मेल मिलाप का आखिरी प्रयास हो सकता है और यह प्रयास शरद यादव कर सकते हैं.
नौकरशाही ब्यूरो
पिछले कई महीनों से नीतीश-लालू भाजपा के खिलाफ मिल कर चुनाव लड़ने की बात कहते रहे हैं लेकिन पिछले दो दिनों में हालात इतने नाजुक हो चुके हैं कि दोनों दलों की ओर से बयानबाजी के तीखे तीर चलने लगे हैं. कल जहां राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को आत्घाती कह डाला तो जद यू के वशिष्ठ नारायण और श्याम रजक ने नीतीश नहीं तो अलायंस नहीं का राग अलाप कर, मेल-मिलाप कोशिशों में पानी फेरने जैसे बयान दे डाले.
इससे एक दिन पहले खुद लालू प्रसाद ने यहां तक कह डाला था कि पटे तो ठीक, न पटे तो भी ठीक. लेकिन अब खब खबर है कि जद यू के राष्ट्रीय अद्यक्ष शरद यादव मेल-मिलाप की एक और कोशिश करने पर राजी हो गये हैं. जनकारों का कहना है कि वह छह या सात जून को लालू प्रसाद से मिलेंगे और आपसी तना-तनी को खत्म करने की आखिरी कोशिश करेंगे.
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दोनों दलों की एक्टिविटी पर नजर रखने वालों का कहना है कि छह-सात जून की मुलाकात के बाद निश्चित तौर पर कोई रास्ता निकल सकता है. फिलवक्त शरद यादव मधेपुरा के दौरे पर हैं और समझा जाता है कि वहां से लौटने के बाद उनकी लालू प्रसाद से निर्णायक बात हो सकती है. अगर लालू से उनकी बातचीत साकारात्मक रही तो इसके बाद नीतीश और लालू प्रसाद की आपसी बैठक होगी.
ये है विवाद
गौरतलब है कि राजद दो मुद्दों पर आपत्ति जता रहा है. उसका कहना है कि चुनाव से पहले किसी चेहरे को मुख्यमंत्र के उम्मीदवार के रूप में नहीं प्रोजेक्ट किया जाये. जबकि उसकी दूसरी मांग यह है कि असेम्बली चुनाव में उसे 143 सीटें चाहिए. इसके बरक्स जद यू इस बात से कम पर तैयार नहीं कि नीतीश कुमार को नेता घोषित कर चुनाव न लड़ा जाये.
दूसरी तरफ दोनों दलों के नेताओं का दबाव है कि इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला किया जाये ताकि चुनाव अभियान को गति दी जा सके.